केंद्र सरकार ने ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में शत्रु संपत्ति के निस्तारण के लिए दिशानिर्देशों में संशोधन किया है. पाकिस्तान और बांग्लादेश की नागरिकता लेने वाले लोगों द्वारा छोड़ी गई संपत्ति ज्यादातर 1947 और 1962 के बीच शत्रु संपत्ति कहलाती है. केंद्र ने ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के उन शत्रु संपत्ति के निस्तारण की बात कही है जिसका मूल्य पांच करोड़ रुपये से कम है.
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक अधिसूचना में कहा है कि ग्रामीण क्षेत्र में एक करोड़ रुपये से कम और शहरी क्षेत्र में पांच करोड़ रुपये से कम मूल्य की शत्रु संपत्ति का निस्तारण किया जाएगा. इसमे कहा गया है कि निस्तारण करते समय संरक्षक को पहले अधिभोगी को खरीद का प्रस्ताव देना होगा. यदि वह खरीद के प्रस्ताव को अस्वीकार कर देता है तो इसका निस्तारण पहले से निर्धारित मानदंडों के अनुसार किया जाएगा.
ग्रामीण में राज्य के सभी क्षेत्र आएंगे
गृह मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया कि ग्रामीण क्षेत्र का तात्पर्य राज्य के किसी भी क्षेत्र से है, सिवाय उन क्षेत्रों के जो किसी शहरी स्थानीय निकाय और छावनी बोर्ड के अंतर्गत आते हैं. इसी प्रकार, शहरी क्षेत्र से तात्पर्य किसी नगर निगम या नगर पालिका की सीमा के भीतर के क्षेत्र से है.
वहीं, केन्द्रीय सरकार जनसंख्या, उद्योगों के संकेन्द्रण, क्षेत्र की समुचित योजना की आवश्यकता और अन्य प्रासंगिक कारकों को ध्यान में रखते हुए, सामान्य या विशेष आदेश द्वारा शहरी क्षेत्र घोषित कर सकती है. सरकार ने शत्रु संपत्तियों को भारत के शत्रु संपत्ति अभिरक्षक को सौंप दिया है. जो कि केन्द्र सरकार के अधीन स्थापित एक कार्यालय है.
शत्रु संपत्ति अधिनियम 1968 में लागू किया गया
शत्रु संपत्ति अधिनियम 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद, 1968 में लागू किया गया. जो ऐसी संपत्तियों को विनियमित करता है और संरक्षक की शक्तियों को सूचीबद्ध करता है. अधिकारियों ने बताया कि देश में कुल 12,611 प्रतिष्ठान शत्रु संपत्ति कहलाते हैं, जिनकी अनुमानित कीमत एक लाख करोड़ रुपये से अधिक है.
वहीं, निस्तारण करते समय संरक्षक को पहले अधिभोगी को खरीद का प्रस्ताव देना होगा. यदि वह प्रस्ताव को अस्वीकार कर देता है तो निविदा आमंत्रित करके या सार्वजनिक कार्रवाई करके इसका निस्तारण किया जाएगा.