आंध्र प्रदेश के बापटला जिले के रहने वाले 32 वर्षीय एक छात्र दासारी गोपीकृष्ण की अमेरिका के एक सुपरमार्केट में हुई गोलीबारी में दुखद मौत हो गई. गोपीकृष्ण बेहतर आजीविका की तलाश में 8 महीने पहले अमेरिका चला गया था. वहां एक सुपरमार्केट में काम कर रहा था.
शनिवार दोपहर को हुई गोलीबारी के दौरान दासारी गोपीकृष्ण काउंटर पर मौजूद था. उसी समय एक अज्ञात हमलावर ने स्टोर में प्रवेश किया और गोलियां बरसानी शुरू कर दी. इस गोलीबारी में गोपीकृष्ण गंभीर रूप से घायल हो गया और उसी वक्त घटनास्थल पर ही गिर पड़ा.
🚨Another firing in America.. – A 32-year-old Indian student, Dasari Gopikrishna was killed randomly while working at a supermarket in USA.
The deceased Gopikrishna belongs to Yazali of Karlapalem mandal of Bapatla district. pic.twitter.com/JE3IX5F7bg
— TAPABRATA JANA 🜃 (@_tapabrata_jana) June 24, 2024
आनन-फानन में उसे नजदीकी अस्पताल ले जाया गया, लेकिन रविवार को इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई. गोपीकृष्ण करलापलेम मंडल के याजली का मूल निवासी था. उसकी असामयिक मृत्यु से पत्नी और बेटे सहित पूरा परिवार गहरे सदमे में है. याजली का समुदाय इस क्षति पर शोक मना रहा है.
Deeply saddened to learn that a young Dasari Gopikrishna from Bapatla has succumbed to injuries sustained in a shooting incident in Texas, USA. I offer my heartfelt condolences to his family and assure them that the GoAP will extend every possible support to help bring him home.…
— N Chandrababu Naidu (@ncbn) June 23, 2024
गोपीकृष्ण की मौत पर आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने शोक व्यक्त किया है साथ ही पीड़ित परिवार को हर संभव मदद देने का आश्वासन भी दिया है. उन्होंने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर किया है जिसमें उन्होंने लिखा है कि राज्य सरकार गोपीकृष्ण पार्थिव शरीर को घर वापस लाने में हर संभव सहायता करेगी. सरकार उनके परिवार के साथ है,. इसके साथ ही उन्होंने परिवार के प्रति संवेदना भी जाहिर की.
बताते चलें कि अमेरिका में भारतीय मूल के छात्रों की मौत का सिलसिला नहीं थम रहा है. दावा है कि इस साल अब तक भारतीय मूल के कम से कम 11 छात्रों की मौत हो चुकी है. अप्रैल महीने में भी 25 साल के मोहम्मद अब्दुल अरफात नामक एक छात्र अमेरिका के क्लीवलैंड शहर में मृत पाया गया था.
अरफात क्लीवलैंड यूनिवर्सिटी से आईटी में मास्टर्स की पढ़ाई करने गया था. वो लगभग एक महीने से लापता था. उसे ढूंढने के लिए सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा था. रिपोर्ट के मुताबिक, अरफात 5 मार्च को अपने घर से निकला था और फिर वापस नहीं लौटा. आखिरी बार 7 मार्च को परिजनों से बात की थी.
अचानक बढ़ती ऐसी घटनाओं से अमेरिका में रह रहे भारतीय और भारतवंशियों में डर का माहौल है. इस घटना के बाद फाउंडेशन फॉर इंडिया एंड इंडियन डायस्पोरा स्टडीज (FIIDS) ने ऐसी घटनाओं का विश्लेषण कर मौतों के संभावित कारणों का पता लगाने की कोशिश की थी.
बोस्टन में रह रहीं लक्ष्मी थलांकी ने 10 मौतों का डेटा एनालिसिस कर बताया कि भारतीय छात्रों की मौत की बढ़ती घटनाएं संदिग्ध हैं. भारतीय छात्रों की मौत की वजह संदिग्ध गोलीबारी या किडनैपिंग के अलावा सुसाइड के लिए उकसाने वाला मानसिक तनाव और हिंसक अपराध तक शामिल हैं.
इसके अलावा छात्रों को हाइपोथर्मिया जैसी बातों का भी नहीं पता है, जो उनकी मौत के कारणों में से एक है. कुछ समय पहले ओहायो में भारतीय छात्र उमा सत्य साई गद्दे की भी मौत हो गई थी. उससे पहले 34 साल के क्लासिकल डांसर अमरनाथ घोष की सेंट लुई में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.