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जम्मू-कश्मीर में अमेरिकी हथियार बन रहे बड़ा खतरा, जैश आतंकियों के पास पहुंचे अफगानिस्तान में छोड़े गए हथियार

पिछले कुछ दिनों से सुरक्षा बल जम्मू-कश्मीर में आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन करने में जुटे है. इस बीच अलग ऑपरेशन के दौरान सुरक्षाबलों को आतंकियों के पास से जो हथियार मिले हैं वो चौकाने वाले हैं. सुरक्षा एजेंसियों के सूत्रों ने आज़तक को जानकारी दी है कि तालिबानी आतंकियों के हाथों में पड़े हथियार पाकिस्तान के जरिए कश्मीर पहुंच रहे हैं. यह सिलसिला 2022 से ही शुरू हो गया था, लेकिन अब ये सिलसिला और ज्यादा बढ़ गया है.

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पिछले कुछ सैन्य ऑपरेशन के बाद यह बात सामने निकलकर आई है कि जम्मू रीजन में आतंकियों के पास से विदेशी हथियार भारी मात्रा में मिल रहे हैं. आतंकियों के पास से M4 कार्बाइन मिलने का सिलसिला रुक ही नही रहा है. सुरक्षा महकमे के सूत्रों के मुताबिक, इस वक्त जितने भी आतंकी गुट है उनके पास AK-47 राइफल और M4 कार्बाइन मौजूद है.

M4 राइफल लगातार हो रही है इस्तेमाल

सेना की गाड़ियों पर पहला हमला ही M4 से ही फायर किया जाता है. इसकी वजह ये बताई जा रही है कि इससे स्टील बुलेट फ़ायर की जाती है जो कि थिन स्किन गाड़ियों (बिना बुलेटप्रूफ वाली गाड़ी) की स्टील की चादर पर कॉपर बुलेट के मुक़ाबले आसानी से छेद कर देती है.

अगर हम M4 की कश्मीर में एंट्री की बात करें तो पहली बार जम्मू कश्मीर में M4 बरामद साल 2017 में हुई थी जब सुरक्षाबलों ने जैश सरगना मसूद अज़हर के भतीजे तल्हा रशीद मसूद को पुलवामा में ढेर किया था. कठुआ रियासी और डोडा में हुए आतंकी हमलों में भी M4 का इस्तेमाल किया गया है. यहीं नहीं पिछले साल पुंछ में हुए आतंकी हमले में M4 का इस्तेमाल सुरक्षाबलों पर हमले करने में किया गया था.

जैश और लश्कर के आतंकी कर रहे इस्तेमाल

सुरक्षाबलों की एक रिपोर्ट आजतक के हाथ लगी है, उसके मुताबिक पिछले कुछ महीनों में पाक अधिकृत कश्मीर(PoK) में दो बड़ी बैठकें हुईं. एक बैठक PoK स्थित पाक आर्मी कैम्प तेजिन में लश्कर के कमांडर ने बुलाई तो दूसरी बैठक जैश के सरगना अब्दुल राउफ ने. दोनों ही बैठकों में यह तय किया कि ज़्यादा से ज़्यादा हथियारों को कश्मीर में पहुंचाया जाए.

सूत्रों के मुताबिक, दो दर्जन से ज़्यादा अमेरिकन मेड M4 कार्बाइन जम्मू कश्मीर में भेजे जाए. जैश की बुलाई गई बैठक का एजेंडा M4 हथियारों को घाटी में भेजने के साथ-साथ अपने मुखबिरों और ओवर ग्राउंड वर्करों(OGW) को एक्टिव कर सुरक्षा बलों के मूवमेंट की जानकारी लेना था. इसके अलावा हथियारो और बाकी लॉजेस्टिक सपोर्ट आतंकियों को भी आतंकियों तक पहुंचाना था. इस बैठक में में ISI के नुमाईंदे भी शामिल थे.

कितनी खतरनाक M4 राइफल

अमेरिकन कंपनी द्ववारा निर्मित असॉल्ट राइफल 1980 के दशक में विकसित की गई थी और नाटो सेना द्वारा बड़े पैमाने पर इनका इस्तेमाल किया जाता रहा. ऐसा कहा जाता रहा है कि M 4 असॉल्ट राइफल, जिसका इस्तेमाल पाकिस्तानी की सेना में किया जाता है.ये आतंकियों तक भेजे जा रहे हैं. M4 कार्बाइन असॉल्ट राइफल एक हल्का, गैस संचालित, एयर कूल्ड, मैगज़ीन से चलने वाला हथियार है. 1987 से 5 लाख से अधिक इकाइयों के उत्पादन के साथ, यह कई वैरिएंट में उपलब्ध है.

यह राइफल 1 मिनट में 700-970 राउंड गोलियों को चलाने में सक्षम है. इसकी प्रभावी फायरिंग रेंज 500-600 मीटर है, जिसमें अधिकतम फायरिंग रेंज 3,600 मीटर है. ख़ुफ़िया एजेंसियों की मानें तो जम्मू रीजन में आतंकियों के पास M4 राइफल का आना काफी चिंता का विषय है.पर सुरक्षा बल भी इनसे निपटने के लिए कमर कस ली है.

15 आतंकी कैम्प और 24 लॉन्च पैड POK में हुए सक्रिय

खुफिया सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तान की आर्मी और ISI ने पिछले एक महीने में 15 नए आतंकी कैम्प और 24 से अधिक लॉन्चिंग पैड PoK में सक्रिय किए हैं. इसके साथ ही लांच पैड पर ट्रेंड आतंकियों का जमावड़ा किया हुआ है. भले ही सरहद पर सीजफायर है पर आतंकियों को LoC पार से भेजने में पाक आर्मी और ISI बदस्तूर लगे हुए हैं. यही नहीं सुरक्षा महकमे के सूत्रों ने जानकारी दी है कि पाक सेना लॉंन्चपैड के नज़दीक बंकर बनाकर आतंकियों को इन बंकरों में छुपा रही है. जिससे भारतीय सेना की नज़र इन पर न पड़े और ये आतंकी छिपकर कई दिनों तक इन बंकरों में रह सकें.

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