अमेठी : अवैध संबंधों के चलते महिला की हत्या और साक्ष्य मिटाने के आरोप में गिरफ्तार आरोपी सिपाही रवि कुमार को जिला एवं सत्र न्यायाधीश लक्ष्मीकांत शुक्ल की अदालत से झटका लगा है. अदालत ने आरोपी की जमानत अर्जी खारिज कर दी, जिससे वह आगे भी जेल में रहेगा. यह मामला अमेठी कोतवाली क्षेत्र के महमूदपुर-आवास विकास का है, जहां मृतका दिव्या अग्रहरि की हत्या का आरोप सिपाही पर लगा है.
हत्या को आत्महत्या दिखाने की कोशिश
घटना 28 दिसंबर की है, जब मृतका के पति आलोक अग्रहरि ने घर लौटने पर पत्नी को मृत अवस्था में पाया। आरोप है कि दिव्या की हत्या को आत्महत्या का रूप देने के लिए सिपाही रवि कुमार ने सबूतों से छेड़छाड़ की. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मृतका के शरीर पर 10 चोटों के निशान मिले, जिससे हत्या की पुष्टि होती है.
सीसीटीवी फुटेज और डिजिटल साक्ष्यों ने खोली पोल
मामले में आरोपी ने अपने परिचित सिपाही अमन विश्वकर्मा से बाइक ली थी, जिसका सीसीटीवी फुटेज सामने आने के बाद अमन ने इस बात की पुष्टि की। वहीं, घटना के समय मृतका के घर के पास लगे सीसीटीवी और अन्य डिजिटल साक्ष्यों ने रवि कुमार की मौजूदगी साबित की.आरोप है कि सिपाही ने हत्या के बाद दिव्या का मोबाइल गायब कर दिया, जिससे कोई सबूत न बचे.
पोस्टमार्टम रिपोर्ट पर कोर्ट की टिप्पणी
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में ‘Asphyxia due to antimortem hanging’ यानी फांसी से दम घुटने की बात कही गई, लेकिन कोर्ट ने गर्दन पर चारों तरफ कसाव के निशान को देखते हुए इसे संदिग्ध माना.अभियोजन पक्ष ने कोर्ट में यह तर्क दिया कि आरोपी ने हत्या के बाद आत्महत्या दिखाने के लिए साक्ष्य मिटाने की कोशिश की.
बचाव पक्ष की दलील खारिज
बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने आरोपी और मृतका के बीच संबंधों को स्वीकारते हुए इसे आत्महत्या बताया, लेकिन कोर्ट अभियोजन पक्ष की दलीलों और सबूतों से संतुष्ट हुई और जमानत याचिका को खारिज कर दिया.
सिपाही रवि कुमार पर गिर सकती है और गाज
मामले में आरोपी सिपाही रवि कुमार और डॉक्टर की भूमिका भी संदिग्ध मानी जा रही है. संभावना है कि चिकित्सा विभाग इस मामले में पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर के खिलाफ भी कार्रवाई कर सकता है. फिलहाल, आरोपी पुलिसकर्मी को जेल में रहना होगा और आगे की न्यायिक प्रक्रिया का सामना करना होगा.