राजनीति के इस मौसम में संयोगों की बरसात हो रही है. पहला संयोग तब बना जब ऑपरेशन सिंदूर के बहस शुरू होने के साथ पहलगाम के जिम्मेदार दरिंदों के ऑपरेशन महादेव के तहत मारे जाने की खबर आई. और दूसरा संयोग तब बना जब संसद में बहस का जवाब देते हुए गृह मंत्री अमित शाह की बात पर मालेगांव ब्लास्ट के फैसला पर मुहर लगी, जिसमें कहा गया कि आतंकवाद का धर्म से लेना देना नहीं है. यानी, ब्लास्ट के दोषियों की रिहाई के साथ ‘भगवा आतंकवाद’ की थ्योरी भी ध्वस्त हो गई.
दरअसल, गृह मंत्री अमित शाह ने 30 जुलाई को राज्यसभा में ऑपरेशन सिंदूर और आतंकवाद के मुद्दे पर बोलते हुए कहा था कि हिंदू कभी आतंकवादी नहीं हो सकता. और अगले ही दिन, यानी आज मालेगांव ब्लॉस्ट का फैसला आया. इस फैसले ने यूपीए सरकार में रखी गई भगवा आतंकवाद की थ्योरी को फेल कर दिया है. और गृहमंत्री अमित शाह की बात सही साबित हुई.
बुधवार को गृहमंत्री केवल हिंदू आतंकवाद पर ही अपने विचार नहीं रख रहे थे. उन्होंने ऑपरेशन महादेव और हर हर महादेव जैसे नारों के बहाने हिंदुओं को जगाने और विपक्ष को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ा. ये मौका भी उन्हें विपक्ष ने ही दिया था कि वो इन मुद्दों पर हमलावर हो सकें. विपक्ष को ऑपरेशन सिंदूर की कमियों पर बात करनीं थी, सरकार की विफलताओं के किस्से लाने थे, भविष्य में पहलगाम जैसी घटना न घटे इस पर सवाल पूछने थे पर सवाल पूछा जा रहा था कि ऑपरेशन महादेव का नाम हिंदू धर्म के भगवान के नाम पर क्यों रखा गया?
शाह की स्पीच में हिंदू
भारतीय सेना के सैन्य अभियानों के नामों को लेकर देश में एक नया विवाद खड़ा हो रहा था. ऑपरेशन सिंदूर, ऑपरेशन महादेव और ऑपरेशन शिवशक्ति जैसे नामों पर विपक्ष के कुछ नेताओं ने आपत्ति जताई है. समाजवादी पार्टी की एमपी रुचिवीरा जैसे लोगों को एतराज था कि इन नामों से सेना का राजनीतिकरण किया जा रहा है और उसे धर्म के चश्मे से देखा जा रहा है.
चर्चा के दौरान शाह ने विपक्ष के इन आरोपों का जवाब देते हुए कांग्रेस पर जानबूझकर भगवा आतंकवाद को खड़ा करने का आरोप लगाया. शाह ने कहा कि कोई हिंदू कभी आतंकवादी नहीं हो सकता. यह बयान हिंदू समुदाय को आतंकवाद से अलग करने और कांग्रेस की भगवा आतंकवाद जैसी अवधारणा को खारिज करने का प्रयास था. शाह ने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए बताया कि हर हर महादेव छत्रपति शिवाजी की सेना का जयघोष था.
शाह ने सेना में इस्तेमाल होने वाले अन्य हिंदू देवी-देवताओं से प्रेरित नारों का जिक्र किया. उन्होंने सेना की वीरता को हिंदू संस्कृति के गौरव से जोड़ा और कहा कि भारतीय सेना के कई रेजिमेंट्स, जैसे गोरखा रेजिमेंट या मराठा लाइट इन्फैंट्री, अपने युद्ध नारों में हर हर महादेव या जय माँ काली जैसे हिंदू धार्मिक नारों का उपयोग करते हैं. उन्होंने इन नारों को सैनिकों के मनोबल और देशभक्ति से जोड़ा और कहा कि हिंदू धर्म को राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक बनाया गया.
प्रियंका ने पहलगाम पीड़ितों को भारतीय बताकर बीजेपी को दिया मौका
कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने तो हद ही कर दी. पहलगाम में मारे गए पीड़ितों के बारे में कहा कि उनकी हत्या भारतीय होने के चलते हुई. जब कि यह स्टैबलिश हो चुका है कि पहलगाम हमले में आतंकियों ने लोगों से कलमा पढाकर उनका धर्म पूछा था. एक नेपाली को भी हिंदू होने के चलते अपनी जान गंवानी पड़ी थी.
जाहिर है कि प्रियंका के इस रुख पर बीजेपी को मौका मिल गया. गृहमंत्री ने विपक्ष की इन्हीं बातों का जवाब देते हुए खुलकर हिंदुओं की बात किया. आम तौर देश में मुसलमानों या अन्य अल्पसंख्यकों के पीड़ित होने पर सरकार उनका नाम लेती रही है पर हिंदुओं की पीड़ा को भारतीय के रूप में ही देखा जाता रहा है. पहली बार ऐसा हुआ कि कोई गृहमंत्री हिंदुओं की बात कर रहा था.
अब सवाल यह उठता है कि ये सब स्वाभाविक ढंग से अचानक हो गया या किसी प्लानिंग के तहत ये किया गया. जैसा भी हुआ इसका राजनीतिक फायदा तो भविष्य में शाह को ही होने ही वाला है. गृह मंत्री ने अपनी राजनीति ही आरएसएस के कॉडर से की है. इसलिए उनके मुंह से स्वाभाविक रूप से भी हिंदुओं की बात निकलना कोई आश्चर्यजनक नहीं है. पर यह काम स्ट्रैटेजिक रूप से भी किया गया हो तो इससे इनकार नहीं किया जा सकता.
हिंदू राजनीति, कांग्रेस बनाम बीजेपी
आजादी के पहले से और आजादी के बाद करीब 4 दशकों तक कांग्रेस पार्टी कहने को धर्मनिरपेक्ष रही है. उसके मूल में हिंदू ही रहा है. बीजेपी यह बात समझ चुकी है कि जब तक कांग्रेस हिंदू थी तब तक वह भारत पर राज करती रही. हिंदू कांग्रेस के आगे कभी भी संघ, जनसंघ या राम राज्य प्रजा परिषद जैसी संस्थाओं को उभरने का मौका नहीं मिला. कांग्रेस में जब से अल्पसंख्यकों का तुष्टिकरण हिंदुओं के हितों पर भारी पड़ने लगा बीजेपी मजबूत होने लगी. आज जिन राज्यों में अभी भी कांग्रेस को हिंदू वोट देते हैं वहां बीजेपी मजबूत नहीं हो पा रही है. जैसे पंजाब और केरल में बीजेपी के अभी तक मजबूत न होने का कारण यही है.
अमित शाह को पता है कि मोदी का हिंदू हृदय सम्राट बनना ही उनके लिए कारगर रहा है.मोदी के बाद कौन या मोदी के बाद दूसरे नंबर पर बने रहने के लिए हिंदू हृदय सम्राट बनना ही होगा. शायद यही कारण है कि इस बार शाह ने चुन चुन कर ऐसे मुद्दों पर विपक्ष को घेरा है जिससे हिंदुओं का दिल जीता जा सके.