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अमृत महोत्सव का बेस्वाद अमृत, बोर्ड परिक्षार्थी टाटपट्टी पर बैठकर परीक्षा देने को मजबूर

भारत को आजाद हुए 75 साल हो गए अमृत महोत्सव मना रहे हैं. भारत चांद तक पहुंच गया पांचवी विश्व की अर्थव्यवस्था बन गया तथा 2047 तक विकसित होना है. यह हमारे भारत की तरक्की है और खुशी की बात कि हमारा भारत विकास की बुलंदियों को चूमता नजर आ रहा है. परन्तु दुर्भाग्यवश मैहर जिला सहित प्रदेश के अनेक स्थानों
पर आज भी पांचवीं, आठवीं दसवीं बारहवीं की बोर्ड परीक्षा में शामिल होने वाले छात्र छात्राओं को टाटपट्टी में बैठकर परीक्षा देना पड़ रहा है. कितना शर्मनाक जो सरकार अपनी पीठ थप थपथपाते थकती नहीं रही है 75 वर्ष देश के आजादी के होने के बाद भी बच्चों को बैठने की स्कूल में कुर्सी टेबल नहीं बच्चे धरती में बैठकर परीक्षा देते है. क्या यही विकसित भारत की पहचान है.

बच्चे ही भारत का भविष्य है जब बच्चों की शिक्षा के लिए यह कदम उठाए जा रहे हैं तो यह स्थिति शर्मनाक है. शिक्षा विभाग का कहना है कि शासन ने फर्नीचर हेतु बजट का प्रावधान ही नहीं किया है. शैक्षणिक गुणवत्ता पर सरकार के दावो का दम कितना है वह परीक्षा प्रबंधन से देखा जा सकता है ब्लॉक कांग्रेस के अध्यक्ष प्रभात द्विवेदी ने कहा कि मध्य प्रदेश माध्यमिक शिक्षा मंडल 10वीं व 12वीं की बोर्ड परीक्षाएं 24 फरवरी से शुरू हो गई हैं. इस बार उन्हीं स्कूलों में परीक्षा केंद्र बनाए गए हैं, जिनमें शौचालय, पानी,एवं बैठक व्यवस्था दुरुस्त हो सीसीटीवी की व्यवस्था हो ऐसे दिशानिर्देश हमेशा की तरह इस बार भी है किंतु वास्तविक धरातल पर इन दिशा निर्देशों का पालन कितना होता है वह अमदरा क्षेत्र में चयनित बोर्ड सेंटर से लगाया जा सकता है.

यहां पर कुछ विद्यार्थियों को छोड़ दिया जाए तो अधिकतर परीक्षार्थी भूमि पर टाटपट्टी में बैठकर अपने पेपर हल करने के लिये मजबूर हैं. इससे स्पष्ट होता है की परीक्षार्थियों का ध्यान आकर्षण एकाग्रता पूरी तरह सें भंग हो रही है और उन्हें इस कारण परिणाम की भी चिंता हो रही है. द्विवेदी ने बताया कि मंडल की ओर से स्पष्ट दिशा निर्देश है कि टाटपट्टी पर या नीचे बैठकर विद्यार्थी परीक्षा नहीं देंगे.संबंधित सेंटर को चाहिए की बेंच व डेस्क की व्यवस्था करें सरकार के नुमाइंदों की पवित्र मनसा इस परीक्षा को ले कर ठीक नहीं है ।शासकीय भवन स्कूल होने के बाद भी प्राइवेट स्कूलों को प्राथमिकता देकर बोर्ड केंद्र बनाया जाना निश्चित रूप से चिंता का विषय है. स्थानीय जिला प्रशासन इन सेंट्ररो का निरीक्षण करवाकर परीक्षार्थियों को टाटपट्टी से मुक्ति दिलाये एवं इस बात की जांच निर्धारित की जानी चाहिए की क्या इससे अच्छे विकल्प नहीं थे परीक्षा केंद्र बनाए जाने के जिससे भविष्य में पुनरावृत्ति ना हो.

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