छत्तीसगढ़ के भिलाई में शुक्रवार को जुमे की नमाज के बाद ‘I Love Mohammed’ पोस्टर पर कार्रवाई के विरोध में मुस्लिम समुदाय में गुस्सा नजर आया। सेक्टर-6 जामा मस्जिद में नमाज के बाद बड़ी संख्या में मुस्लिम समुदाय के लोग जुटे।
हाथों में “आई लव मोहम्मद” लिखी तख्तियां थामे उन्होंने नारे लगाए और राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा। मांग की गई कि गिरफ्तार किए गए युवाओं को तुरंत रिहा किया जाए और जिन्होंने उन पर कार्रवाई की है, उनके खिलाफ FIR दर्ज हो।
“आई लव डॉग-एक्टर पर एतराज नहीं, मोहम्मद पर क्यों?”
रैली में शामिल लोगों ने सवाल उठाया कि दुनिया को किसी जानवर या एक्टर से मोहब्बत जताने पर कोई एतराज नहीं होता, लेकिन पैगंबर मोहम्मद के नाम पर इजहार करने से परेशानी क्यों है? मस्जिद के सदर ने इसे धार्मिक स्वतंत्रता पर सीधा हमला बताया। उन्होंने कहा कि यह असामाजिक तत्वों की सोची-समझी चाल है।
ऑपरेशन सिंदूर का जिक्र, “देश के लिए दी हैं कुर्बानियां”
रैली में ऑपरेशन सिंदूर का जिक्र करते हुए कहा गया कि जब पाकिस्तान ने आतंकियों को भेजकर हमारी बहनों की मांग का सिंदूर मिटाने की कोशिश की थी, तब इस देश की बेटी सोफिया कुरैशी ने पाकिस्तान में घुसकर आतंकियों का खात्मा किया था।
मस्जिदों के इमाम ने कहा कि मुसलमानों ने हमेशा मुल्क के लिए खून बहाया है। आजादी की लड़ाई से लेकर बॉर्डर पर शहादत और विज्ञान तक, टीपू सुल्तान, अब्दुल हमीद और डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम जैसे नाम इसकी गवाही देते हैं।
हमें संविधान में मिला है अधिकार
मस्जिद कमेटी के सदर मिर्जा असीम बेग ने कहा उन्नाव में 20-25 मुस्लिम युवाओं पर केवल पोस्टर लगाने की वजह से कार्रवाई कर दी गई। हमारी कौम अनुशासित है और हमेशा संविधान के दायरे में रहकर काम करती है। हम राष्ट्रपति से मांग करते हैं कि कोई ऐसा कानून बने जिससे किसी भी मजहब के साथ नाइंसाफी न हो।
राष्ट्रपति भवन भेजा जाएगा ज्ञापन
वहीं, भिलाई एसडीएम हितेश पिस्दा ने बताया कि ज्ञापन में कानपुर और उन्नाव की घटनाओं का जिक्र है। मुस्लिम समाज की ओर से राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा गया है। इसे जल्द राष्ट्रपति भवन भेजा जाएगा। आगे की कार्रवाई वहीं से होगी।
कानपुर से शुरू हुआ था आई लव मोहम्मद विवाद
बता दें कि आई लव मोहम्मद का यह मामला कानपुर के रावतपुर इलाके से शुरू हुआ था। सितंबर की शुरुआत में बारावफात के जुलूस के दौरान मुस्लिम युवाओं ने आई लव मोहम्मद लिखे पोस्टर और बैनर लगाए। इसके बाद स्थानीय हिंदू संगठनों ने इसे नई परंपरा बताते हुए आपत्ति जताई और माहौल गरमा गया।
इसके बाद मामले में पुलिस ने हस्तक्षेप करते हुए बैनर हटवा दिए और 9 लोगों को नामजद तथा 15 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की। इसमें सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने और धार्मिक भावनाओं को भड़काने जैसी धाराएं लगाई गई है।