Left Banner
Right Banner

BHU के नाराज छात्रों और शौधकर्ताओं ने केंद्रीय मंत्री को सौंपा ज्ञापन, शिकायतों से कराया अवगत

उत्तर प्रदेश के काशी हिंदू विश्वविद्यालय की गिनती देश दुनिया के सर्वश्रेष्ठ शिक्षण संस्थानों में होती है. यहां के शोध कार्य तकनीक, चिकित्सा और अलग-अलग क्षेत्र में दुनिया को नई दिशा प्रदान कर रहे हैं.

हालांकि बीते कुछ महीनों से यहां के छात्रों द्वारा BHU अस्पताल, ट्रामा सेंटर सहित अलग-अलग विभागों में भ्रष्टाचार और वित्तीय अनियमितता के आरोपों ने सभी को हैरान कर दिया है. बीते दिनों वाराणसी पहुंचें भारत सरकार के शिक्षा राज्य मंत्री डॉ. सुकांत मजूमदार को काशी हिंदू विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र और वर्तमान शोध छात्रों ने ज्ञापन सौंपा है.

आक्रोशित छात्रों ने केंद्र सरकार के मंत्री को सौंपा ज्ञापन

वाराणसी पहुंचे भारत सरकार के शिक्षा राज्य मंत्री डॉ. सुकांत मजूमदार को काशी हिंदू विश्वविद्यालय से जुड़े छात्रों के एक समूह ने BHU के अस्पताल, ट्रॉमा सेंटर सहित अन्य विभागों में भ्रष्टाचार और अनियमिताओं को लेकर एक ज्ञापन सौंपा.

बता दें  नशिकायत करने वाले छात्र मृत्युंजय तिवारी से बात की तो उन्होंने बताया कि- BHU के ट्रामा सेंटर से लेकर सरसुंदर दास अस्पताल में जितनी भी अनियमितता आ रही है उसकी स्वतंत्रत जांच कराई जाए. एक ही पद पर अधिक अवधि तक बने रहना, निजीकरण करना , कर्मचारियों का अनैतिक आचरण भ्रष्टाचार की वज़ह बन रहा है.

पहले भी छात्र कर चुके हैं शिकायत

पहले भी हम लोगों ने इस विषय को लेकर विभाग से लेकर मंत्रालय तक को अवगत कराया है. यह हमारे राष्ट्रीय संस्थान की पारदर्शिता के साथ बहुत बड़ा खिलवाड़ है और इसे तत्काल रोकना चाहिए.

वहीं शिकायत करने वाले एक अन्य छात्र शुभम तिवारी का इस मामले पर कहना है कि अगर इन भ्रष्टाचार पर कड़ी कार्रवाई नहीं होती है तो यह मालवीय के सिद्धांतों का अपमान होगा. हम केंद्रीय मंत्री से यह मांग करते हैं की पूरी निष्पक्षता के साथ इसकी जांच कराई जाए. वहीं केंद्रीय राज्य मंत्री डॉ सुकांत ने छात्रों की बात को सुना और उन्हें आश्वास्त करते हुए ज्ञापन लेकर यह भी कहा कि इस पर गंभीरता से विचार किया जाएगा.

अपने स्तर पर छात्रों ने की है मुलाकात

वहीं इस शिकायत को लेकर एबीपी न्यूज ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय प्रशासन से भी उनका पक्ष जाना. BHU प्रशासन की तरफ से जनसंपर्क विभाग ने स्पष्ट किया है कि छात्र अपने स्तर पर किसी भी शीर्ष पद पर बैठे हुए लोगों से मिल सकते हैं. वह अपनी बात रख सकते हैं, लेकिन जरूरी नहीं कि प्रशासन की इस बात पर प्रतिक्रिया हो. साथ ही उन्होंने कहा कि प्रशासनिक नियमों के दायरे में विश्वविद्यालय प्रशासन अपने कार्य को करता रहा है.

Advertisements
Advertisement