उत्तराखंड के कोटद्वार में करीब 3 साल पुराने अंकिता भंडारी हत्याकांड में कोर्ट का फैसला सामने आ चुका है. कोर्ट ने तीनों आरोपियों को दोषी करार दिया है. अंकिता भंडारी का शव कैनाल से बरामद किया गया था. अब इस बहुचर्चित हत्याकांड में मामले में कोटद्वार की अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत ने आज फैसला सुनाया है. कोर्ट ने तीनों आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है.
उत्तराखंड के कोटद्वार स्थित अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश न्यायालय में अंकिता की हत्या के मामले में तीन आरोपियों पुलकित आर्य, सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता को दोषी पाया गया है. कोर्ट ने तीनों आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है. करीब दो साल और आठ महीने तक चली सुनवाई में 47 गवाहों ने कोर्ट में बयान दिए. इसके अलावा पूरे मामले में एसआईटी ने 97 गवाह बनाए थे, जिनमें से 47 अहम गवाहों को ही अदालत में पेश कराया गया.
इस हाई प्रोफाइल मामले को देखते हुए कोर्ट के आस-पास के इलाके में भारी पुलिस बल की तैनाती की गई है. इसके साथ ही लोगों का जमावड़ा भी कोर्ट परिसर और आसपास के इलाके में देखने को मिल रहा है. यही कारण है कि इलाके में सुरक्षा के पख्ता इंतजाम किए गए हैं. वहीं अगर अंकिता के परिवार की बात की जाए तो वे सभी आरोपियों के लिए फांंसी की मांग कर रहे थे.
क्या है अंकिता भंडारी मर्डर केस?
उत्तराखंड के ऋषिकेश के करीब पौड़ी जिले के गंगा भोगपुर इलाके में वनंत्रा रिजॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट का काम करने वाली 19 साल की अंकिता भंडारी का सितंबर 2022 में मर्डर कर दिया गया था. घटना के एक सप्ताह बाद चीला नहर से अंकिता शव बरामद हुआ था. इस मामले में उस समय पुलिस ने रिजॉर्ट मालिक संचालक पुलकित आर्य और उसके दो कर्मचारियों सौरभ भास्कर व अंकित गुप्ता को गिरफ्तार किया गया था. जांच में खुलासा हुआ था कि आरोपियों ने अंकिता को हत्यारोपियों ने चीला नहर में धक्का देकर मार डाला था.
अंकित मर्डर करने के पीछे की वजह रिजॉर्ट में वीआईपी को एक्स्ट्रा सर्विस देने से इनकार करना बताया गया था. इस घटना के बाद उत्तराखंड में भारी बवाल देखने को मिला था. बवाल के बाद उत्तराखंड सरकार ने जांच के लिए उप महानिरीक्षक पी रेणुका देवी के नेतृत्व में स्पेशल जांच टीम का गठन किया था.
32 महीनों में क्या-क्या हुआ?
अंकिता की हत्या के बाद आरोपियों को 24 घंटे के अंदर जेल भेजा गया और अभी तक वह सलाखों के पीछे हैं. अंकिता भंडारी हत्या मामले में जांच के लिए किया गया SIT का गठन किया गया था. इसके अलावा आरोपियों पर गैंगस्टर अधिनियम के तहत भी केस दर्ज किया गया था. धामी सरकार की तरफ से अंकिता भंडारी के परिवार को ₹25 लाख की आर्थिक मदद दी गई थी.
पूरे मामले में मामले में 500 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की गई. अंकिता के परिजनों की मांग पर 3 बार सरकारी वकील बदले गए. इसके साथ ही अंकिता के भाई और उसके पिता को सरकारी नौकरी दी गई. कोर्ट में सरकारी वकील की तरफ से की गई सख्त पैरवी की वजह से आरोपियों द्वारा दी गई जमानत अर्जी हर बार खारिज हो गई.