दिल्ली का मुख्यमंत्री कौन होगा, इसका फैसला कल हो जाएगा. नए मुख्यमंत्री के चयन को लेकर भारतीय जनता पार्टी (BJP) की विधायक दल की बैठक कल दोपहर होगी. इस बैठक में नेता सदन का चुनाव किया जाएगा और दिल्ली के अगले मुख्यमंत्री का नाम तय किया जाएगा. सूत्रों के मुताबिक दिल्ली में 19 या 20 फरवरी को शपथग्रहण हो सकता है. इससे पहले कल बीजेपी विधायक दल की बैठक होगी. बताया जा रहा है कि बीजेपी के 48 में से 15 विधायकों के नाम छांटे गए हैं, उसमें से 9 नाम शॉर्ट लिस्ट किए जाएंगे. इन्हीं में से मुख्यमंत्री, मंत्री और स्पीकर का नाम तय किया जाएगा.
बता दें कि रेखा गुप्ता, प्रवेश वर्मा, मोहन सिंह बिष्ट, विजेंद्र गुप्ता, सतीश उपाध्याय, आशीष सूद, शिखा राय और पवन शर्मा का नाम चर्चा में हैं. हालांकि ये सिर्फ कयास हैं, पीएम मोदी और अमित शाह राजस्थान और मध्यप्रदेश की तरह दिल्ली में भी कोई सरप्राइज दे सकते हैं.
वहीं, भारतीय जनता पार्टी के उत्तर पश्चिम दिल्ली के सांसद योगेंद्र चंदोलिया ने कहा था कि नए मुख्यमंत्री का चुनाव पार्टी के नवनिर्वाचित विधायकों में से ही होना चाहिए. उन्होंने जोर देकर कहा कि नवनिर्वाचित विधायकों में कई सक्षम नेता हैं, जिनमें दिल्ली भाजपा के दो पूर्व अध्यक्ष, पार्टी के एक राष्ट्रीय सचिव और कई पूर्व राज्य पदाधिकारी शामिल हैं, जिन्हें लंबा राजनीतिक अनुभव है.
दिल्ली बीजेपी के एक अन्य वरिष्ठ नेता ने भी कहा कि नवनिर्वाचित विधायकों में से ही किसी को मुख्यमंत्री बनाना चाहिए. साथ ही कहा कि इससे पार्टी को मिले जनादेश का सम्मान होगा. उन्होंने भाजपा के वरिष्ठ नेता विजय कुमार मल्होत्रा का उदाहरण देते हुए कहा कि अतीत में भी वरिष्ठ पार्टी नेताओं ने मिसाल कायम की है.
केंद्रीय नेतृत्व निभाएगा अहम भूमिका
बता दें कि दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने दो तिहाई बहुमत हासिल कर आम आदमी पार्टी को एक दशक बाद सत्ता से बाहर किया है. इस जीत के साथ ही अब इस बात पर ध्यान केंद्रित हो गया है कि दिल्ली का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा, क्योंकि बीजेपी ने सीएम पद का चेहरा घोषित किए बिना ही चुनाव लड़ा था. पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व द्वारा इस बारे में फैसले लिए जाने की उम्मीद है.
बीजेपी ने खत्म किया 27 साल का वनवास
बीजेपी ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में 48 सीटों पर जीत हासिल की थी. आम आदमी पार्टी महज 22 सीटें ही जीत सकी थी. जबकि कांग्रेस लगातार तीसरी बार ‘जीरो’ पर सिमट गई. दिल्ली में बीजेपी ने पहली बार 1993 में जीत हासिल की थी. उसके बाद से ही बीजेपी राष्ट्रीय राजधानी में 27 साल से वनवास झेल रही थी.