सरगुजा जिले के लुंड्रा विकासखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत गेरसा में शनिवार सुबह वर्ष 1988 में निर्मित बांध का बड़ा हिस्सा अचानक टूट गया। बताया जा रहा है कि शुक्रवार रात से ही बांध में रिसाव शुरू हो गया था, लेकिन शनिवार सुबह लगभग नौ बजे बांध का मेड़ बह गया और पानी का तेज बहाव निकल पड़ा।
गनीमत रही कि बांध के निचले हिस्से में कोई बस्ती नहीं है, जिससे जनहानि की आशंका टल गई। हालांकि, इस हादसे में किसानों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा है। बांध टूटने से करीब 25 से 30 एकड़ क्षेत्र में लगी धान की फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई।
बीते मंगलवार की रात बलरामपुर जिले में लुत्ती जलाशय टूटने की घटना हुई थी, जिसकी पीड़ा लोग भूल भी नहीं पाए थे कि गेरसा बांध के टूटने ने एक बार फिर से बांधों के रखरखाव की मांग तेज हो गई है। ग्रामीणों का कहना है कि जल संसाधन विभाग की अनदेखी और समय पर मरम्मत कार्य न होने के कारण ही यह स्थिति बनी।
मौके पर पहुंचे कलेक्टर
घटना की जानकारी मिलते ही कलेक्टर विलास भोसकर मौके पर पहुंचे और हालात का जायजा लिया। उन्होंने तत्काल विभागीय अधिकारियों को बांध की मरम्मत और स्थिति पर निगरानी रखने के निर्देश दिए। साथ ही प्रभावित किसानों को राहत दिलाने का आश्वासन भी दिया।
ग्रामीणों का कहना है कि गेरसा जलाशय की क्षमता से अधिक पानी भरने और देखरेख में लापरवाही बरतने की वजह से बांध का एक हिस्सा टूटा है।
बता दें कि पिछले कुछ दिनों से उत्तरी छत्तीसगढ़ के इलाकों में भारी बारिश हुई है। जिस कारण सभी नदी-नाले और जलाशय लबालब भरे हुए हैं। ऐसे में पुराने हो चुके बांध रखरखाव के अभाव में नष्ट हो रहे हैं। जिससे जान-माल का नुकसान हो रहा है। लुत्ती जलाशय के हादसे में 7 लोगों की जान चली गई वहीं 50 से ज्यादा मवेशी मारे गए थे। वहीं अब इस बांध के टूटने से किसानों के धान की फसल को भारी नुकसान हुआ है।