दमोह। प्रदेश के 13 जिलों में राहत राशि के नाम पर चहेतों, रिश्तेदारों और अपात्रों को 23 करोड़ 37 लाख रुपये के फर्जी आवंटन का मामला प्रधान महालेखाकार ऑडिट की रिपोर्ट में सामने आया है। वर्ष 2023 में विभाग ने आपत्ति दर्ज कराई। इसके बावजूद अब तक राशि वसूली में जिम्मेदारों ने रुचि नहीं दिखाई।
मप्र विधानसभा के मानसून सत्र में विधायक बाला बच्चन और पंकज जायसवाल ने फर्जी आवंटन पर आपत्ति जताई तो पहली बार मामला सार्वजनिक हुआ। अब राजस्व मंत्री करण सिंह वर्मा ने संबंधित जिला कलेक्टरों को फिर से पत्र लिखकर कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।
अधिकारियों ने सरकार से मिली राशि को मनमाने ढंग से बांटी
दरअसल, प्राकृतिक आपदा की स्थिति में पीड़ितों को आरबीसी (राजस्व पुस्तक परिपत्र) की धारा 6.4 में राहत राशि उनके खातों में दिए जाने का प्रावधान है। विभागीय अधिकारियों ने सरकार से मिली राशि को मनमाने ढंग से बांट दी। प्रदेश के 13 जिलों की 98 तहसीलों की लेखा ऑडिट डिपार्टमेंट ग्वालियर द्वारा जब जांच की गई तो इसमें शासन द्वारा वर्ष 2018-19 से लेकर वर्ष 2021-22 तक 10 हजार 315 करोड़ रुपये राहत राशि के रूप में आवंटित किए गए थे।
जांच में 23 करोड़ 37 लाख रुपये की राशि ऐसी मिली जो अधिकारियों ने अपने रिश्तेदारों, परिचितों और अनाधिकृत व्यक्तियों के खाते में जमा करा दी। गबन की जानकारी जब ऑडिट डिपार्टमेंट ने राजस्व विभाग को दी तो राशि को वापस किए जाने के निर्देश तत्कालीन प्रमुख सचिव ने जारी किए।
फर्जी स्वीकृति आदेश किए गए तैयार
जांच में पाया गया कि प्राकृतिक आपदाओं अंतर्गत राहत के रूप में अधिकारियों और उनके रिश्तेदारों सहित अनाधिकृत व्यक्तियों को फर्जी स्वीकृति आदेश जारी कर लाभ पहुंचाया गया। इतना ही नहीं ये खाते बैंक रिकार्ड में किसी अन्य व्यक्तियों के नाम पर दर्ज मिले। वर्ष 2018-19 से लेकर वर्ष 2021-22 के बीच बाढ़, अतिवृत्ति, आपदा, फसल नुकसान और कीटनाशक से नुकसान के रूप में 8680 करोड़ 13 लाख रुपये इन 13 जिलों में राशि वितरित की गई।
सिवनी में सबसे ज्यादा, सतना में सबसे कम
शासन को सिवनी से 11 करोड़ 79 लाख, श्योपुर से दो करोड़ 84 लाख, सीहोर से एक करोड़ 17 लाख, शिवपुरी से तीन करोड़, देवास से एक करोड़ 27 लाख, छतरपुर से 42 लाख, खंडवा से 12 लाख, मंदसौर से 70 लाख, रायसेन से 88 लाख, दमोह से 31 लाख, सतना से 13 लाख, आगर मालवा से 27 लाख और विदिशा से 47 लाख रुपये की राशि वसूली की जानी है।
अब तक किसी पर एफआइआर नहीं
13 जिलों के 98 तहसीलदार और संबंधित लिपिक सहित अन्य भी अधिकारी जिम्मेदार हैं। इन्होंने अपने रिश्तेदारों परिचितों के खाते में राशि जमा की गई है। उन पर अब तक मामला दर्ज नहीं किया गया। राजस्व मंत्री करण सिंह वर्मा ने कहा कि राहत राशि के वितरण के संबंध में राजस्व विभाग द्वारा वसूली के निर्देश दिए गए हैं। संबंधित कलेक्टरों को इसमें कार्रवाई के लिए भी निर्देशित किया गया है।