भगोड़ा घोषित होने पर नहीं मिली अग्रिम जमानत: गूगल ऐप रिव्यू के नाम पर ठगी में आरोपी की बेल खारिज

बिलासपुर हाईकोर्ट ने जमानत के एक केस में महत्वपूर्ण फैसला देते हुए कहा कि, धोखाधड़ी के प्रकरण में भगोड़ा घोषित होने पर आरोपी को अग्रिम जमानत का लाभ नहीं दिया जा सकता। इसके साथ ही कोर्ट ने ऑनलाइन ठगी के एक मामले में आरोपी की अग्रिम जमानत याचिका को खारिज कर दी है।

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दरअसल, सिटी कोतवाली क्षेत्र में निवासी एक व्यक्ति ने शिकायत में बताया कि, 18 अक्टूबर 2024 को उसके मोबाइल पर अनजान नंबर से मैसेज आया, जिसमें गूगल मैप पर रिव्यू देने के लिए कहा गया। इसके बदले पैसे देने का झांसा दिया। शिकायतकर्ता झांसे में आकर गूगल मैप पर रिव्यू देने लगा। जिसके बाद उसे टेलीग्राम पर एक लिंक भेजा गया, उसे खोलने पर एक हजार रुपए जमा करने को कहा गया।

क्रिप्टो करेंसी के जरिए पैसे कमाने का दिया झांसा

इसके बाद फॉर्म्स बीट नाम के एक टेलीग्राम ग्रुप में जोड़ा गया और उसे क्रिप्टो लिंक में शामिल कराया गया। उसे बताया गया कि, क्रिप्टो लिंक मिलने के बाद उसे ज्यादा मुनाफा होगा। कुछ ही समय में उसके बैंक खाते से 12 हजार रुपए कट गए।

पूछताछ करने पर आरोपी ने 23 हजार रुपए वापस करने का झांसा देकर 50 हजार रुपए देने कहा। इस तरह पीड़ित व्यक्ति के अकाउंट से 1 लाख 10 हजार रुपए अलग-अलग किस्तों में निकाल ली गई।

जिसके खाते में पैसा गया, उस आरोपी की हुई पहचान

पीड़ित की शिकायत पर पुलिस ने धोखाधड़ी का केस दर्ज कर जांच शुरू की। इस दौरान जांच में पता चला कि आरोपी मन्नू चौक, टिकरा पारा निवासी मंशु गुप्ता सह आरोपियों के बैंक खातों का संचालन कर रहा था। पुलिस ने मामले में बीएनएस की धारा 318(4), 3(5) के तहत केस दर्ज किया है।

गिरफ्तारी से बचने लगाई अग्रिम जमानत अर्जी

संभावित गिरफ्तारी से बचने आरोपी ने हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत अर्जी लगाई थी। राज्य सरकार की तरफ से विरोध करते हुए बताया गया कि, आरोपी ने विवेचना में कोई सहयोग नहीं किया है और फरार चल रहा है। उसे भगोड़ा घोषित किया जा चुका है।

हाईकोर्ट ने लवेश बनाम एनसीटी दिल्ली और मध्यप्रदेश राज्य बनाम प्रदीप शर्मा के केस का हवाला देते हुए अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी है। बता दें कि इस तरह धोखाधड़ी के केस में भगोड़ा घोषित होने पर आरोपी को अग्रिम जमानत का लाभ नहीं दिया जा सकता।

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