रायपुर। राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) ने कस्टम मिलिंग घोटाले में बड़ी कार्रवाई करते हुए अनवर ढेबर के करीबी सहयोगी दीपेन चावड़ा को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तारी के बाद उसे विशेष अदालत में पेश किया गया और जज ने 7 दिन की पुलिस रिमांड पर भेज दिया। इस दौरान एजेंसी आरोपी से घोटाले के संबंध में पूछताछ करेगी।
जांच में पता चला कि दीपेन चावड़ा पहले से ही 2,000 करोड़ रुपए से अधिक अवैध धनराशि का प्रबंधक रहा है। कस्टम मिलिंग स्कैम में भी उसके खिलाफ गंभीर साक्ष्य मिले हैं। आरोप है कि उसने 20 करोड़ रुपए लोक सेवकों की ओर से एकत्र किए और इसे घोटाले में शामिल अधिकारियों और नेताओं तक पहुँचाया।
फरवरी 2025 में इस मामले में तत्कालीन प्रबंध संचालक मनोज सोनी और रोशन चंद्राकर के खिलाफ विशेष न्यायालय में चालान प्रस्तुत किया गया था। वहीं, अनिल टुटेजा और अनवर ढेबर के खिलाफ जांच अभी जारी है। जनवरी 2024 में EOW ने इस घोटाले में पहली FIR दर्ज की थी। इसमें रोशन चंद्राकर, प्रीतिका, रिटायर सीनियर IAS अनिल टुटेजा, एजाज ढेबर, सिद्धार्थ सिंघानिया और रामगोपाल अग्रवाल के नाम शामिल थे।
जांच में यह भी पता चला कि कस्टम मिलिंग के बदले मिलर्स को भुगतान में मनमानी की जाती थी। 2020-21 से पहले प्रति क्विंटल 40 रुपए भुगतान होता था, जिसे बाद में 120 रुपए किया गया। मार्कफेड के अधिकारियों ने इस राशि में से 20 रुपए कट किए, जो मिलर्स को देने थे। इस पैटर्न पर प्रदेश के 2,700 मिलर्स से 140 करोड़ से अधिक की वसूली हुई।
घोटाले में कस्टम मिलिंग, डीओ काटने, मोटा धान को पतला करने, पतले धान को मोटा करने और FCI को नान में कंवर्ट करने जैसी कार्रवाई शामिल थी। मनोज सोनी और उनके सहयोगियों के साथ मार्कफेड के अधिकारी और छत्तीसगढ़ स्टेट इन मिलर्स एसोसिएशन के पदाधिकारी भी इस खेल में शामिल थे।
इस गिरफ्तारी और जांच के बाद कस्टम मिलिंग घोटाले की पोल और खुलने की संभावना बढ़ गई है। दीपेन चावड़ा से पूछताछ के दौरान एजेंसी को और साक्ष्य मिलने की उम्मीद है, जिससे अन्य आरोपी अधिकारियों और नेताओं के खिलाफ भी कार्रवाई की राह आसान हो सकती है।