दिल्ली की हलचल भरी ज़िंदगी में, जहाँ हर कोई भागदौड़ में लगा है, 35 वर्षीय स्नेहा साहा भी एक नीति शोधकर्ता के रूप में अपनी दिनचर्या में व्यस्त थीं. 9 अप्रैल की शाम, अचानक उनके सीने में एक अजीब बेचैनी हुई. दिल तेज़ी से धड़क रहा था, मानो कोई डर उन्हें घेरे हुए हो. पहले तो लगा कि शायद काम का तनाव है, लेकिन गहरी साँसें लेने और पानी पीने के बाद भी धड़कनें शांत नहीं हुईं.
तभी स्नेहा को याद आया उनकी कलाई पर सजा Apple Watch. उन्होंने उसे पहना और तुरंत ही घड़ी ने उन्हें चेतावनी दी – “आपके दिल की धड़कन असामान्य है, कृपया डॉक्टर से संपर्क करें.” पहले तो उन्होंने इसे अनदेखा किया, लेकिन जब धड़कनें 230 बीपीएम से ऊपर पहुँच गईं, तो घबराहट ने उन्हें जकड़ लिया.
फोर्टिस अस्पताल के आपातकालीन कक्ष में पहुँचते-पहुँचते स्नेहा की हालत और बिगड़ गई. डॉक्टर उनकी नब्ज़ तक नहीं ले पा रहे थे. जांच के बाद पता चला कि उन्हें एट्रियल फाइब्रिलेशन (AFib) नामक एक गंभीर समस्या है, जिसमें दिल की धड़कनें अनियमित और तेज़ हो जाती हैं. समय रहते इलाज न मिलने पर जान भी जा सकती थी.
डॉक्टरों ने तुरंत तीन बार इलेक्ट्रिक शॉक दिया और स्नेहा को आईसीयू में भर्ती कराया. वहाँ धीरे-धीरे उनकी हालत में सुधार हुआ. स्नेहा को यकीन नहीं हो रहा था कि एक छोटी सी घड़ी ने उनकी जान बचाई है. उन्होंने कहा, “अगर Apple Watch नहीं होता, तो शायद मैं आज ज़िंदा नहीं होती.”
स्नेहा ने अपने अनुभव को Apple के सीईओ टिम कुक को भी बताया. टिम कुक ने उनके साहस की तारीफ़ करते हुए कहा, “मुझे खुशी है कि आपने समय रहते इलाज करवाया. अपनी कहानी साझा करने के लिए धन्यवाद.”
स्नेहा की कहानी हमें याद दिलाती है कि तकनीक सिर्फ़ मनोरंजन का साधन नहीं है, बल्कि ज़रूरत पड़ने पर हमारी जान भी बचा सकती है. आज स्नेहा स्वस्थ हैं और Apple Watch को अपना सबसे ख़ास साथी मानती हैं. यह घड़ी उनके लिए जीवनदान बन गई है.