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‘युद्ध उसी समय शुरू हो जाता है जब…’, इजरायली पेजर अटैक को आर्मी चीफ उपेंद्र द्विवेदी ने बताया मास्टरस्ट्रोक

लेबनान में हिज्बुल्लाह को निशाना बनाकर किए गए पेजर अटैक से पूरी दुनिया हैरान थी. इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद के पैजर अटैक से लेबनान थर्रा गया था. अब भारतीय सेना के चीफ जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने पेजर अटैक को लेकर बयान दिया है.

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जनरल उपेंद्र द्विवेदी से एक कार्यक्रम में पेजर अटैक को लेकर सवाल किया गया. भारत में इस तरह के हमलों से निपटने के बारे में जब उनसे पूछा गया तो उन्होंने कहा कि आप जिस पेजर की बात कर रहे हैं. हंगरी की कंपनी ने ताइवान की एक कंपनी के ब्रांड नाम से पेजर तैयार किया था. बाद में हंगरी की कंपनी ने इन पेजर्स को हिज्बुल्लाह को सप्लाई किया. इजरायल ने जिस तरह शेल कंपनी खड़ी की, वह इजरायल का मास्ट्रस्ट्रोक था. इसके लिए सालों की तैयारी की जरूरत होती है. आप जिस दिन से लड़ना शुरू कर देते हैं, युद्ध उस समय से शुरू नहीं होता. युद्ध उस समय से शुरू हो जाता है, जब आप इसकी योजना बनाना शुरू कर देते हैं और यही सबसे महत्वपूर्ण है.

उन्होंने कहा कि अगर भारत के संदर्भ में पेजर अटैक को देखें तो हमें सप्लाई चेन में गड़बड़ी से बचना होगा. इस पर नजर रखनी होगी. हम विभिन्न स्तरों पर इसकी जांच करनी होगी, फिर चाहे वह तकनीकी स्तर हो या फिर मैनुअल. हमें यह पुख्ता करना होगा कि इस तरह की घटनाएं हमारे साथ नहीं हो. बता दें कि पिछले महीने लेबनान में बड़ी संख्या में पेजर और वॉकी-टॉकी अटैक हुए थे. इन हमलों में लगभग 40 लोगों की मौत हो गई थी जबकि 3000 से ज्यादा लोग घायल हुए थे.

लेबनान में कैसे हुए थे ब्लास्ट?

लेबनान और सीरिया के सीमावर्ती इलाकों में पिछले महीने धड़ाधड़ पेजर्स में धमाके हुए थे. लेबनान की राजधानी बेरूत और दक्षिणी लेबनान के कई इलाकों विशेष रूप से पूर्वी बेका वैली में पेजर में सीरियल ब्लास्ट होने शुरू हुए थे. इन इलाकों को हिजबुल्लाह का गढ़ माना जाता है. इसके बाद लेबनान में वॉकी-टॉकी के अलावा सोलर पैनल और हैंड हेल्ड रेडियो में भी ब्लास्ट हुए थे. लेबनान के बेरूत समेत कई शहरों में घरों के सोलर सिस्टम में भी धमाके हुए थे.

चीन बसा रहा आर्टिफिशियल गांव

इस बीच जब आर्मी चीफ से यह पूछा गया कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर चीन आर्टिफिशियल गांव बसा रहा है. तो इस पर जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि चीन आर्टिफिशियल बस्तियां बसा रहा है. कोई बात नहीं. वह उनके देश में चाहे जो करें. लेकिन हम साउथ चाइन सी में जो देखते हैं और ग्रे जोन की बात करते हैं तो शुरुआत में हमें मछुआरे और ऐसे लोग मिलते हैं, जो सबसे आगे रहते हैं. इसके बाद हम देखते हैं कि उन्हें बचाने के लिए सेना आगे बढ़ती दिखती है.

आर्मी चीफ ने मॉडल विलेज को लेकर कहा कि हमारे यहां पहले से ही इस तरह के मॉडल विलेज बनते आ रहे हैं. लेकिन सबसे जरूरी बात यह है कि अब राज्य सरकारों को भी संसाधन लगाने का अधिकार दिया गया है. अब समय आ गया है कि सेना, राज्य सरकारें और केंद्र सरकार की निगरानी सब एक साथ जारी है. इसलिए अब जो मॉडल विलेज बन रहे हैं, वे और भी बेहतर होंगे.

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