रायपुर: सालों से बस्तर विकास की राह में पिछड़ा रहा है. बस्तर में सालों से नक्सली विकास की राह में रोड़ा बने रहे हैं. बस्तर में जल्द ही थल सेना की तैनाती होने वाली है. सेना की तैनाती पर जब मुख्यमंत्री विष्णु देव साय से मीडिया ने सवाल किया तो उनका साफ कहना था कि ”बस्तर में मिलिट्री की तैनाती से नक्सलवाद का कोई संबंध नहीं है”. सीएम ने साफ कर दिया कि बस्तर में सेना की तैनाती जरुर हो रही है लेकिन इसका माओवादियों और उनके खिलाफ चल रहे ऑपरेशन से कोई संबंध नहीं है.
बस्तर में होगी सेना की तैनाती: लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा था कि ” दो सालों के भीतर हम छत्तीसगढ़ से माओवादियों को खत्म कर देंगे. नक्सली या तो समर्पण कर दें या फिर सीने पर गोली खाएं”. बीते दिनों भी नक्सलवाद के मुद्दे पर केंद्रीय गृहमंत्री ने नक्सल प्रभावित राज्यों के अफसरों के साथ छत्तीसगढ़ में बड़ी बैठक की है. केंद्रीय गृहमंत्री ने खुद ये कहा है कि ”साल 2026 तक देश से नक्सलवाद की समस्या खत्म हो जाएगी. नक्सलवाद के खिलाफ पूरी मजबूती से हमारी लड़ाई चल रही है. कई जगहों पर नक्सली समस्या खत्म हो चुकी है कुछ जगहों पर थोड़ा बहुत बाकी है. जल्द ही उनको भी जड़ से उखाड़ दिया जाएगा”.
बस्तर में चल रहा है एंटी नक्सल ऑपरेशन: बस्तर के नक्सल प्रभावित जिलों में एंटी नक्सल ऑपरेशन चलाया जा रहा है. एंटी नक्सल ऑपरेशन को बड़ी कामयाबी के तौर पर भी देखा जा रहा है. नक्सल विरोधी अभियान के दौरान आए दिन नक्सली ढेर हो रहे हैं, सरेंडर कर रहे हैं. आत्मसमर्पण के लिए नक्सलगढ़ में लोन वर्राटू अभियान और पूर्ना नारकोम अभियान भी चलाया जा रहा है. लेकिन बस्तर में सेना की तैनाती पर सीएम ने साफ कहा है कि ”सेना की तैनाती से नक्सल समस्या का कोई लेना देना नहीं है”.