चंदेरी में टूटी व्यवस्था ने फिर दिखाया प्रशासन का असंवेदनशील चेहरा। सोमवार को कूंकूं तलैया मुक्तिधाम में इंसानियत और संवेदनाओं को भिगोती बारिश के साथ बदइंतजामी की तस्वीर सामने आई। भोपाल में बीमारी के चलते विनोद बाल्मिक का निधन हो गया था। उनके अंतिम संस्कार के लिए परिजन चंदेरी के एकमात्र श्मशान पहुंचे, लेकिन वहां की हालत ने उन्हें और अधिक दुखी कर दिया।
अंतिम संस्कार के दौरान बारिश हुई शुरू
दोपहर करीब एक बजे जैसे ही परिजन अंतिम संस्कार की तैयारियों में जुटे, अचानक तेज बारिश शुरू हो गई। मुक्तिधाम में पहले से लगे जर्जर टीन शेड से पानी सीधे चिता पर गिरने लगा। चिता पर रखे शव के चारों ओर भीगती लकड़ियां और कंडे जलने लायक नहीं रह गए। परिजनों की आंखों में पहले ही अपनों के खोने का गम था, अब इस दुर्दशा ने उन्हें पूरी तरह तोड़ दिया। मजबूरी में मृतक के परिजन और रिश्तेदार बाजार से तिरपाल लेने दौड़े। कुछ देर में तिरपाल लेकर लौटे और खुद भीगते हुए उसे चिता के ऊपर फैलाकर खड़े हो गए ताकि शव भीग न सके। करीब आधे घंटे तक वे तिरपाल थामे खड़े रहे। जैसे ही बारिश थमी, तब जाकर अंतिम संस्कार की प्रक्रिया शुरू हो सकी।
सालों से श्मशान घाट की खराब स्थिति
स्थानीय निवासी बताते हैं कि चंदेरी के इस श्मशान की हालत सालों से बदतर है। ना पक्की छत है, ना बैठने की व्यवस्था और ना ही बरसात से बचने के इंतजाम। चंदेरी जैसे ऐतिहासिक और विश्व पटल पर पहचान रखने वाले शहर में ऐसी बदहाली देखकर हर नागरिक का सिर शर्म से झुक जाता है। विनोद बाल्मिक का अंतिम संस्कार तो हो गया, लेकिन उनके परिजनों के दिल में यह ताजिंदगी एक दुखद अनुभव बनकर रह जाएगा।
स्थानीय प्रशासन पर उठे सवाल
नगरपालिका के अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों से कई बार श्मशान घाट के सुधार की मांग की जा चुकी है, लेकिन हर बार आश्वासन देकर बात टाल दी जाती है। अब सवाल यह है कि क्या किसी प्रतिनिधि या अफसर को तब ही चेत आएगा जब उनके परिजन इस स्थिति का सामना करेंगे?