आईआईटी कानपुर (Kanpur IIT) में कृत्रिम हृदय (Artificial Heart) विकसित किया जा रहा है. जल्द ही बकरी पर इसका ट्रायल होगा. प्राप्त जानकारी के मुताबिक, यह कृत्रिम हृदय विदेशों से 10 गुना कम लागत में तैयार होगा. कृत्रिम हृदय को आईआईटी में टाइटेनियम धातु से विकसित किया जा रहा है.
तकनीकी भाषा में इसको एलवीएडी यानी लेफ्ट वेंट्रिकुलर असिस्ट डिवाइस कहते हैं. यह उन लोगों के लिए उपयोगी है जिनका हृदय ठीक से रक्त पंप नहीं करता. आईआईटी कानपुर में तैयार किया जा रहा कृत्रिम हृदय इंसानों से पहले बकरी के सीने में धड़केगा. इस कृत्रिम हृदय को हृदययंत्र नाम दिया गया है. इसका एनिमल ट्रायल जल्द ही शुरू होगा.
उपरोक्त जानकारी आईआईटी कानपुर के निदेशक प्रो. मणींद्र अग्रवाल ने दी है. उन्होंने बताया कि पहले इसे सूअर में लगाने की योजना थी, लेकिन अब जल्द ही इसे बकरी में लगाने का प्रयास किया जाएगा. काफी शोध के बाद ही यह निर्णय लिया गया है. संस्थान में छात्रों के सहयोग और प्रोफेसरों की सलाह से यह कृत्रिम हृदय विकसित किया जा रहा है.
बकौल मणींद्र अग्रवाल- विदेशों में मिलने वाले कृत्रिम हृदय की कीमत एक करोड़ से अधिक है. इसे देखते हुए आईआईटी कानपुर और हैदराबाद अस्पताल के डॉक्टरों की टीम ने सस्ते कृत्रिम हृदय पर शोध शुरू किया और महज 10 लाख रुपये में कृत्रिम हृदय को तैयार कर रहा है. हालांकि, जब यह बाजार में आएगा तो इसकी कीमत और बढ़ सकती है.
जल्द शुरू होंगे एनिमल ट्रायल
प्रो. मणींद्र अग्रवाल ने बताया कि फिलहाल इस पर शोध किया जा रहा है और जल्द ही इसका एनिमल ट्रायल शुरू होगा. उन्होंने बताया कि संस्थान में बन रहे गंगवाल स्कूल ऑफ मेडिकल साइंस एंड टेक्नोलॉजी का काम भी तेजी से चल रहा है.
ऐसे काम करेगा कृत्रिम हृदय
यह कृत्रिम हृदय आईआईटी में टाइटेनियम धातु से विकसित किया जा रहा है. तकनीकी भाषा में इसे एलवीएडी यानी लेफ्ट वेंट्रिकुलर असिस्ट डिवाइस कहते हैं. इसका इस्तेमाल उन लोगों के लिए किया जाता है जिनका हृदय ठीक से रक्त पंप नहीं करता.
कंप्यूटर सिमुलेशन से तैयार किया गया है डिजाइन
डिवाइस का आकार एक पाइप जैसा होगा, जो हृदय के एक हिस्से से दूसरे हिस्से से जुड़ा होगा. इसकी मदद से रक्त को शरीर में पंप किया जाएगा और धमनियों के सहारे पूरे शरीर में पहुंचाया जाएगा. हृदय का डिजाइन कंप्यूटर सिमुलेशन से तैयार किया गया है.
हृदय की सतह रक्त के संपर्क में नहीं आएगी
हृदय की सतह रक्त के संपर्क में नहीं आएगी. पंप के अंदर टाइटेनियम को इस तरह से डिज़ाइन किया जाएगा कि यह धमनियों की अंदरूनी सतह जैसा बन जाए. इससे प्लेटलेट्स सक्रिय होने से बचेंगे. अगर प्लेटलेट्स सक्रिय हो जाते हैं, तो शरीर में रक्त के थक्के बन सकते हैं. ऑक्सीजन के प्रवाह को बढ़ाने वाली लाल रक्त कोशिकाएं भी नहीं मरेंगी.