‘जब तक इस्लाम है, आतंकवाद भी रहेगा…’, बांग्लादेशी लेखिका तस्लीमा नसरीन का बयान 

जानी-मानी बांग्लादेशी लेखिका तस्लीमा नसरीन (Bangladeshi Writer Taslima Nasrin) ने दिल्ली साहित्य महोत्सव में एक सत्र के दौरान कहा कि ‘जब तक इस्लाम रहेगा, आतंकवाद भी बना रहेगा.’ उन्होंने हाल ही में कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले और 2016 में ढाका के होली आर्टिजन बेकरी पर हुए हमले का हवाला देते हुए यह बयान दिया.

Advertisement

‘इस्लाम पिछले 1400 वर्षों में नहीं बदला’

तस्लीमा ने कहा कि ‘इस्लाम पिछले 1400 वर्षों में नहीं बदला है. जब तक यह बदलेगा नहीं, तब तक आतंकवाद पनपता रहेगा.’ उन्होंने बताया कि ढाका हमले में मुसलमानों को इसलिए मार दिया गया क्योंकि वे कलमा नहीं पढ़ पाए. यही होता है जब आस्था, इंसानियत और तर्क से ऊपर हो जाती है.

‘यूरोप में चर्च संग्रहालय बन चुके हैं, मुसलमान अब भी मस्जिदें बना रहे हैं’

62 वर्षीय लेखिका ने कहा कि ‘यूरोप में चर्च संग्रहालय बन चुके हैं, लेकिन मुसलमान अब भी मस्जिदें बना रहे हैं. उनके स्कूलों मदरसों में बच्चों को केवल एक ही किताब पढ़ाई जाती है. ऐसा नहीं होना चाहिए.’ उन्होंने यह भी कहा कि ‘हर बच्चे को सभी किताबें पढ़नी चाहिए, न कि केवल धार्मिक ग्रंथ.’

नसरीन ने खुद को भारत से जुड़ा बताया और कहा कि अमेरिका में 10 साल रहने के बावजूद वह वहां कभी अपनेपन का अनुभव नहीं कर पाईं, लेकिन भारत में खासकर कोलकाता और दिल्ली में उन्हें घर जैसा एहसास हुआ.

बांग्लादेश के हालात पर कही ये बात

बांग्लादेश के हालात पर उन्होंने कहा कि वहां की महिलाएं आज भी बुनियादी अधिकारों से वंचित हैं. उन्होंने भारत सहित सभी सभ्य देशों में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने की मांग की और कहा कि ‘अधिकार धार्मिक नहीं, मानवीय होने चाहिए. अगर संस्कृति या परंपरा के नाम पर महिलाओं की सुरक्षा से समझौता होता है, तो ऐसी संस्कृति को सवालों के घेरे में लाना जरूरी है.’

Advertisements