बांग्लादेश के हिंदू पुजारी और इस्कॉन के पूर्व प्रमुख चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी की गिरफ्तारी के बाद हिंदू अल्पसंख्यक और उनके मंदिर एक बार फिर निशाने पर हैं. वहां इस्कॉन मंदिरों पर बैन की मांग उठाई जा रही है. छात्र आंदोलन के दौरान सक्रिय रहा संगठन भेदभाव विरोधी छात्र आंदोलन (Anti Discrimination Students Movement) ने आज चेतावनी दी कि वो इस्कॉन को बांग्लादेश के अंदर भारत के एजेंडे को लागू करने की अनुमति नहीं देंगे.
इसी साल अगस्त में शेख हसीना की सरकार गिराने में प्रमुख भूमिका निभाने वाले छात्र संगठन ने कहा कि देश को अस्थिर करने के लिए ‘अल्पसंख्यक थ्योरी’ का षड्यंत्र रचा जा रहा है लेकिन षड्यंत्रकारी देश को बांट नहीं पाएंगे.
चटगांव में आयोजित एक कार्यक्रम में छात्र संगठन के नेता हसनत अब्दुल्ला ने कहा, ‘इस्कॉन आवामी लीग के एजेंट की तरह काम कर रहा है और देश को अस्थिर करने की कोशिश में है. बांग्लादेश सबको साथ लेकर चलने वाला देश है और कट्टरपंथियों की यहां कोई जगह नहीं है. हम सभी के अधिकारों की रक्षा के लिए काम करेंगे. लेकिन धर्म के नाम पर किसी भी कट्टरपंथी संगठन को चलाने की अनुमति नहीं दी जाएगी.’
अब्दुल्ला ने आरोप लगाया कि चिन्मय दास की जमानत याचिका खारिज होने के बाद भड़की हिंसा में सरकारी वकील सैफुल इस्लाम अलिफ की मौत का जिम्मेदार इस्कॉन है और इसलिए इस पर बैन लगाया जाना चाहिए.
इसी कार्यक्रम में बोलते हुए जातीय नागरिक कमिटी के सदस्य सर्जिस आलम ने कहा, ‘देश के आम सनातनी शांतिप्रिय हैं लेकिन तानाशाह हसीना के एजेंट्स इस्कॉन के जरिए देश में अस्थिरता लाना चाहते हैं. लेकिन जब तक हम जिंदा है, ऐसा होने नहीं देंगे.’
‘बांग्लादेश में भारत का एजेंडा…’
वहीं, ढाका में आयोजित एक रैली में छात्र संगठन के मुख्य आयोजक अब्दुल हन्नान मसूद ने आरोप लगाया कि इस्कॉन आवामी लीग की मुखिया शेख हसीना के इशारे पर बांग्लादेश में भारत के एजेंडे को लागू करने का काम कर रहा है.
मसूद ने आगे कहा, ‘लेकिन हिंदुओं और मुसलमानों को एक-दूसरे के खिलाफ खड़ा करने का उनका प्लान कभी सफल नहीं होगा. अब इस षड्यंत्र को चुप रहकर नहीं सहा जाएगा. अब भी आवामी लीग के लोग कई जगह छिपे बैठे हैं और देश को अस्थिर करने की कोशिश कर रहे हैं. हमने फैसला किया है कि वो जहां भी मिल जाएंगे, लोग उन्हें पीटेंगे और फिर उन्हें पुलिस के हवाले किया जाएगा.’
अल्पसंख्यक हिंदुओं की आवाज उठाने वाले चिन्मय दास की गिरफ्तारी
शेख हसीना की सरकार के पतन के बाद से बांग्लादेशी हिंदुओं समेत वहां के अल्पसंख्यकों पर अत्याचार की खबरें सामने आती रही हैं. हिंदुओं और उनके धार्मिक स्थलों को निशाना बनाया जा रहा है. चिन्मय कृष्ण दास हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाने और उन्हें एकजुट करने का काम करते रहे हैं. इसी बीच उनकी गिरफ्तारी कर ली गई.
चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी पर भारत की कड़ी प्रतिक्रिया
चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी सोमवार को ढाका एयरपोर्ट पर हुई. उनकी गिरफ्तारी के बाद बांग्लादेशी हिंदुओं के बीच भारी रोष देखने को मिला और जगह-जगह विरोध प्रदर्शन भी हुए. भारत ने दास की गिरफ्तारी पर मंगलवार को एक बयान जारी कर कहा, ‘यह दुर्भाग्य की बात है कि हिंदू अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने वाले अपराधियों की बजाए, शांतिपूर्ण सभाओं के जरिए वैध मांगें रखने वाले एक हिंदू पुजारी के खिलाफ देशद्रोह का आरोप लगाया जा रहा है. हम चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के खिलाफ शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे हिंदू अल्पसंख्यकों पर हुए हमलों पर भी चिंता जताते हैं.’
भारत के इस बयान के बाद बांग्लादेश ने भी एक बयान जारी किया जिसमें कहा गया कि चिन्मय दास की गिरफ्तारी को कुछ हलकों में गलत अर्थ दिया गया है. बयान में कहा गया कि भारत का बयान निराधार और दोस्ती की भावना के उलट है.