आसाराम की जमानत बढ़ाने की याचिका खारिज, हाईकोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला

राजस्थान हाईकोर्ट ने आसाराम को बड़ा झटका देते हुए उनकी अंतरिम जमानत बढ़ाने की अपील को खारिज कर दिया है। कोर्ट के इस फैसले के बाद अब आसाराम को जोधपुर की सेंट्रल जेल में सरेंडर करना होगा। जनवरी 2025 से अंतरिम जमानत पर चल रहे आसाराम ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए जमानत अवधि बढ़ाने की मांग की थी, लेकिन कोर्ट ने मेडिकल रिपोर्ट का अवलोकन करने के बाद उनकी दलील को खारिज कर दिया।

जस्टिस दिनेश मेहता और जस्टिस विनीत कुमार माथुर की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान अहमदाबाद के सिविल अस्पताल से आई रिपोर्ट को देखा। मेडिकल बोर्ड, जिसमें दो कार्डियक विशेषज्ञ और एक न्यूरोलॉजी विशेषज्ञ शामिल थे, ने आसाराम की स्थिति को स्थिर बताया। इस रिपोर्ट के आधार पर अदालत ने माना कि अंतरिम जमानत को आगे बढ़ाने का कोई औचित्य नहीं है।

सरकारी पक्ष की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता दीपक चौधरी ने तर्क रखा कि मेडिकल रिपोर्ट में आसाराम की तबीयत सामान्य बताई गई है, इसलिए उन्हें जेल से बाहर रहने की अनुमति नहीं मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि कानून सभी के लिए समान है और चिकित्सा कारणों के नाम पर जमानत को अनिश्चितकाल तक बढ़ाना न्यायिक प्रक्रिया के खिलाफ होगा।

हालांकि, कोर्ट ने आसाराम को यह छूट दी है कि यदि भविष्य में कोई गंभीर बीमारी की आशंका या स्वास्थ्य समस्या सामने आती है, तो वह तत्काल चिकित्सकीय सुविधा ले सकते हैं और हाईकोर्ट में नए सिरे से आवेदन करने का अधिकार रखते हैं।

फिलहाल आसाराम को गुजरात हाईकोर्ट से 3 सितंबर तक अंतरिम जमानत मिली हुई है। लेकिन राजस्थान हाईकोर्ट के ताजा आदेश के बाद उनकी कानूनी मुश्किलें और बढ़ गई हैं। अदालत के इस निर्णय को उनके लिए बड़ा झटका माना जा रहा है, क्योंकि अब उन्हें जेल लौटना अनिवार्य होगा।

यह फैसला न केवल कानूनी प्रक्रिया की सख्ती को दर्शाता है, बल्कि यह भी संदेश देता है कि अदालतें स्वास्थ्य के आधार पर दी गई राहत का दुरुपयोग होने नहीं देंगी। अब देखना होगा कि आने वाले दिनों में आसाराम अपनी अगली कानूनी रणनीति कैसे तय करते हैं।

Advertisements
Advertisement