भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर (BARC) और इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (ECIL) ने मिलकर एशिया की सबसे बड़ी इमेजिंग दूरबीन का सफलतापूर्वक निर्माण किया है, जिसका नाम मेजर एटमॉस्फेरिक चेरेनकोव एक्सपेरिमेंट (MACE) रखा गया है. इस दूरबीन को लद्दाख के हानले वेधशाला में स्थापित किया गया है, जो समुद्र तल से 4,300 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. यह अपने तरह की सबसे ऊंची दूरबीन मानी जाती है, जो वैश्विक स्तर पर भारत को कॉस्मिक-रे रिसर्च के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण स्थान पर स्थापित करेगी.
MACE दूरबीन का उद्देश्य ब्रह्मांड की सबसे ऊर्जावान घटनाओं का अध्ययन करना है, जो गामा किरणों के रूप में प्रकट होती हैं. यह अत्यधिक ऊर्जा वाली किरणें विभिन्न खगोलीय घटनाओं, जैसे सुपरनोवा विस्फोट और ब्लैक होल्स से उत्पन्न होती हैं.
गामा किरणों को समझाने में मदद करेगा
एटॉमिक एनर्जी डिपार्टमेंट के सचिव अजीत कुमार मोहंती के अनुसार, यह दूरबीन वैज्ञानिकों को उच्च-ऊर्जा गामा किरणों का गहराई से अध्ययन करने में मदद करेगी. इन किरणों के अध्ययन से ब्रह्मांड की संरचना और उसकी उत्पत्ति के बारे में नई जानकारियां मिल सकती हैं, जिससे खगोल विज्ञान के क्षेत्र में नई खोजों का मार्ग प्रशस्त होगा. इस परियोजना के तहत न केवल वैज्ञानिक अनुसंधान को प्रोत्साहन मिलेगा, बल्कि यह लद्दाख क्षेत्र के सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए भी लाभदायक साबित होगी.
ब्रह्मांड के रहस्यों को समझना होगा आसान
दूरबीन के निर्माण और उसकी देखरेख के लिए स्थानीय जनसंख्या को रोजगार के अवसर मिलेंगे, जिससे क्षेत्र का समग्र विकास होगा. साथ ही, यह परियोजना लद्दाख को एक महत्वपूर्ण खगोलीय केंद्र के रूप में स्थापित करने में मदद करेगी, जिससे भारत को वैश्विक खगोलीय समुदाय में एक अग्रणी स्थान प्राप्त होगा. MACE दूरबीन के माध्यम से वैज्ञानिक उन घटनाओं का अध्ययन कर सकेंगे जो अब तक समझ से परे थीं, जिससे अंतरिक्ष विज्ञान और ब्रह्मांड के रहस्यों को उजागर करने में बड़ी मदद मिलेगी.