रांची में एक कार्यक्रम के दौरान चीफ ऑफ डिफेन्स स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने बड़े विश्वास के साथ कहा कि सेना (फौज) ही ऐसी जगह है जहां नेपोटिज्म नहीं होता. साथ ही उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर की भी बात की, जहां भारतीय सेनाओं ने पाकिस्तान को पहलगाम आतंकी हमले का जवाब दिया था और आतंकियों पर एयर स्ट्राइक की थी. सीडीएस ने बताया कि आखिर रात डेढ़ बजे ही क्यों हमला किया गया.
वहीं उन्होंने यह भी बताया कि इस साल प्राकृतिक आपदाओं की संख्या ज्यादा थी और फोर्स ने नागरिकों को बचाने के लिए अधिकतम प्रयास किए. यह संदेश उन्होंने युवाओं में किस्म की ईमानदारी व सामाजिक जिम्मेदारी जगाने के लिए दिया.
जनरल चौहान ने ऑपरेशन सिंदूर का एक महत्वपूर्ण पहलू भी साझा किया. उन्होंने बताया कि 7 मई की रात लगभग 1:00 से 1:30 बजे के बीच आतंकवादी ठिकानों पर पहला स्ट्राइक किया गया था.
उन्होंने कहा कि इस समय का चुनाव दो कारणों से किया गया था. पहला कारण था कि सेना को अपनी टेक्नोलॉजी और इंटेलिजेंस पर भरोसा था कि रात में भी वह इमेजरी या सैटेलाइट इमेजेज, फोटो आदि ले सकेंगी. दूसरा और अहम वजह थी नागरिकों की जान बचाना.
जनरल चौहान ने बताया कि अगर यह स्ट्राइक सुबह 5:30–6:00 बजे होती – जो कि पहला अजान या नमाज का समय होता है – तो बहावलपुर और मुरिदके में बहुत सारे नागरिक हो सकते थे जो बाहर निकलते हैं. इससे नागरिकों को नुकसान होने की संभावना थी. इसलिए “1:00–1:30 बजे” का समय चुना गया.
टेक्नोलॉजी और सैन्य रणनीति की नई मिसाल
जनरल चौहान ने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर ने यह दिखाया कि कैसे रात में लंबी दूरी के टारगेट्स पर प्रिसिजन स्ट्राइक की जा सकती है अगर टेक्नोलॉजी, सिग्नल इंटेलिजेंस और इमेजरी अच्छी हो. यह रणनीति न सिर्फ सैन्य खतरे को खत्म करने के लिए जरूरी थी बल्कि यह नागरिक सुरक्षा का भी हिस्सा बनी.
उनका कहना है कि सेना (फौज) सिर्फ शक्ति नहीं है बल्कि ईमानदारी, जिम्मेदारी, और देशभक्ति की मिसाल है जहां व्यक्ति की योग्यता और काम की पहचान होती है, न कि कनेक्शन या संबंधों की.