बिलासपुर। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने देश की 157 विश्वविद्यालय को डिफाल्टर घोषित कर दिया है, जिनमें छत्तीसगढ़ के पांच सरकारी विश्वविद्यालय भी शामिल हैं। अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय बिलासपुर इस सूची से बचने में सफल रहा है। इस सफलता का श्रेय यहां हाल ही में लोकपाल की नियुक्ति को दिया जा रहा है।
छत्तीसगढ़ के जिन पांच विश्वविद्यालयों को डिफाल्टर घोषित किया गया है, उनमें इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, पं. दीन दयाल उपाध्याय मेमोरियल स्वास्थ्य विज्ञान और आयुष विश्वविद्यालय, शहीद नंदकुमार पटेल विश्वविद्यालय, छत्तीसगढ़ कामधेनु विश्वविद्यालय, दुर्ग और महात्मा गांधी उद्यानिकी एवं वानिकी विवि, पाटन शामिल हैं।
मध्य प्रदेश में सर्वाधिक विश्वविद्यालय डिफाल्टर
मध्य प्रदेश के 16 विश्वविद्यालयों को डिफाल्टर की सूची में शामिल किया गया है, जो देश में सर्वाधिक है। इसके अलावा आंध्र प्रदेश के चार, बिहार के तीन, दिल्ली के एक, गुजरात के चार, हरियाणा के दो, जम्मू कश्मीर के एक, झारखंड के चार, कर्नाटक के 13, केरल के एक, महाराष्ट्र के सात, मणिपुर के दो, मेघालय के एक, ओडिशा के 11, पंजाब के दो, राजस्थान के सात, सिक्किम के एक, तेलंगाना के एक, तमिलनाडु के तीन, उत्तर प्रदेश के 10, उत्तराखंड के चार, और पश्चिम बंगाल के 14 सरकारी विश्वविद्यालय भी डिफाल्टर घोषित किए गए हैं।
अटल विश्वविद्यालय का अनुकरणीय कदम
अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय ने कुछ महीने पहले ही लोकपाल की नियुक्ति की है, जिससे यह विश्वविद्यालय यूजीसी की डिफाल्टर सूची में शामिल होने से बच गया। यह कदम अन्य विश्वविद्यालयों के लिए अनुकरणीय है और यह दिखाता है कि नियमानुसार कार्य करना किस प्रकार से संस्थान की साख बचा सकता है।
यूजीसी की चेतावनी
यूजीसी ने डिफाल्टर विश्वविद्यालयों को चेतावनी जारी की है और जल्द से जल्द लोकपाल नियुक्त करने के निर्देश दिए हैं। नियमानुसार लोकपाल की नियुक्ति न करने पर विश्वविद्यालयों को डिफाल्टर घोषित किया जा रहा है ताकि वे अपनी जिम्मेदारियों को गंभीरता से लें और छात्रों की समस्याओं का समाधान कर सकें।