इजराइल- ईरान में चल रहे तनाव के बीच रविवार रात सीरिया में अमेरिकी फौज के ठिकानों पर हमले हुए हैं. रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक ये हमला इराक से किया गया. इराक के सुरक्षा बलों के मुताबिक अमेरिका के मिलिट्री बेस पर निनेवेह इलाके से 5 रॉकेट दागे गए.
फिलहाल हमला करने वालों को पकड़ने के लिए सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है. न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक हमले का आरोप इराक में ईरान समर्थित समूह कातिब हिजबुल्लाह पर है, जो इराक से अमेरिकी फौज को बाहर करना चाहता है.
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— India 2047 (@India2047in) July 4, 2025
हाल ही में इराक के प्रधानमंत्री मोहम्मद शिया अल सुदानी अमेरिका के दौरे पर गए थे. इस दौरान उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति से मांग की थी कि वो इराक से अपनी फौज को निकाल लें.
इराक के मिलिट्री अधिकारियों के मुताबिक, सीरिया से इराक के शहर जुम्मार में एक छोटे ट्रक से रॉकेट लॉन्च किए गए. इस दौरान जिस ट्रक पर रॉकेट लॉन्चर रखा हुआ था उसमें भी विस्फोट हो गया. इस विस्फोट के दौरान इराक में कुछ फाइटर जेट्स दिखाई दिए थे.
ऐसे में ये माना जा रहा है कि हमले के बाद अमेरिका ने ट्रक पर कार्रवाई की है. जिसके बाद पूरा ट्रक जलकर खाक हो गया. हालांकि, इराक की सिक्योरिटी फोर्सेस ने अमेरिका के कार्रवाई करने वाली बात पर अब तक कोई जानकारी नहीं दी है.
सीरिया में अमेरिका के ठिकानों पर हमला उस वक्त हुआ है जब हाल ही में ईरान ने इजराइल और फिर इजराइल ने ईरान पर एयर स्ट्राइक की. इसकी शुरुआत सीरिया में ईरान के ठिकानों पर हुए इजराइल के हमलों से हुई थी.
अमेरिकी मीडिया हाउस न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक ईरान और इजराइल ने आपस में स्ट्राइक की है, पर इससे ईरान और पश्चिमी देशों के बीच टकराव का अंत नहीं समझा जाना चाहिए. ईरान और इजराइल आपस में न लड़कर फिर से इराक और सीरिया में एक-दूसरे के ठिकानों को निशाना बनाएंगे और जवाबदेही भी नहीं लेंगे.
ऐसी स्थिति जनवरी 2020 में अमेरिका और ईरान के बीच भी हो गई थी. जब ईरान का टॉप जनरल कासिम सुलेमानी बगदाद एयरपोर्ट के पास अमेरिकी की ड्रोन स्ट्राइक में मारा गया था. सुलेमानी पर इराक जंग के वक्त ईरान के बाहर मिलिट्री और इंटेलिजेंस ऑपरेशन चलाने के आरोप थे.
कातिब हिजबुल्लाह एक कट्टरपंथी इराकी शिया संगठन है. इसकी शुरुआत 2003 में अमेरिका और ब्रिटेन के इराक पर हमले के बाद कई ईरानी समर्थक समूहों के बीच एक संगठन के तौर पर हुई थी. इस समूह की स्थापना जमाल जाफर अल-इब्राहिम ने की थी, जिसे अबू महदी अल-मुहांडिस के नाम से जाना जाता है.
इस समूह ने 2003 से 2011 तक इराक युद्ध के वक्त गठबंधन सेना के खिलाफ लड़ाई लड़ी है. इसके अलावा यह समूह इराक युद्ध (2013-2017) और सीरियाई गृहयुद्ध (2011-वर्तमान) में सक्रिय रहा है. 2020 में अमेरिकी ड्रोन हमले में मारे जाने तक समूह की कमान अबू महदी अल-मुहांडिस के पास थी.
इसके बाद मुहांडिस की जगह अब्दुल अजीज अल-मुहम्मदावी (अबू फदक) को पॉपुलर मोबिलाइजेशन फोर्सेज (पीएमएफ) का नया नेता नियुक्त किया गया. कातिब हिजबुल्लाह का लक्ष्य इराक में ईरान समर्थित एक समानांतर सरकार की स्थापना करना और अमेरिका को अपने देश से बाहर निकालना है.