बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमले जारी हैं. शनिवार की सुबह ढाका में इस्कॉन मंदिर में कुछ लोगों ने आग लगा दी. आग लगाये जाने से एक मूर्ति क्षतिग्रस्त हो गई और पर्दे जल गए. इस्कॉन बांग्लादेश का कहना है कि यह एक इस्कॉन भक्त का “पारिवारिक मंदिर” था, जबकि कोलकाता इस्कॉन की ओर से दावा किया गया है कि इस्कॉन नमहट्टा सेंटर” को निशाना बनाया गया. बांग्लादेश में इस्कॉन नमहट्टा सेंटर को जला दिया गया. दूसरी ओर, बांग्लादेश में हिंदुओं पर हिंसा को लेकर पूरे देश में रोष है. कोलकाता सहित देश के विभिन्न शहरों में हिंसा और अत्याचार के खिलाफ प्रदर्शन हुए हैं.
दूसरी ओर, बांग्लादेशी मुस्लिम नेता रफीकुल इस्लाम मदनी का एक वीडियो वायरल हो रहा है. इसमें उन्होंने कहा कि इस्कॉन को प्रतिबंधित किया जाना चाहिए. यह धार्मिक अभ्यास का समय नहीं है. यह इस्कॉन से लड़ने का समय है.
इस्कॉन के उपाध्यक्ष कोलकाता राधारमण दास ने टीवी9 भारतवर्ष से बात की. उन्होंने कहा कि हमने सोचा था कि अल्पसंख्यक नेता के साथ उनकी बैठक के बाद यूनुस सरकार हमें सुरक्षा प्रदान करेगी, लेकिन इस्कॉन पर ताजा हमला हमारी मुख्य चिंता है.
बांग्लादेश में हिंसा पर इस्कॉन ने जताई चिंता
उन्होंने कहा कि जिस तरह से युवा मौलवी नफरत फैलाने वाले भाषणों का प्रचार कर रहे हैं, उससे बांग्लादेश में हमारा भविष्य दांव पर है और हम चिंतित हैं. बांग्लादेश में इस्कॉन को बंद करना कोई समाधान नहीं है क्योंकि इस्कॉन एक चेतना है. इस्कॉन एक समुदाय है, जो लोग बांग्लादेश में इस्कॉन के उपासक हैं, उनका क्या होगा? इस्कॉन सिर्फ मंदिर नहीं है.
टीएमसी के महासचिव कुणाल घोष ने इस्कॉन पर हमले को लेकर कहा कि हमने पहले भी कहा है कि बांग्लादेश में इस्कॉन और हिंदुओं पर हमला स्वीकार्य नहीं है, लेकिन हम इसके आगे कुछ नहीं बोल सकते हैं. उनलोगों ने बांग्लादेश में शांति सेना बहाल करने की मांग की है. ममता बनर्जी ने इसकी मांग की है, लेकिन इसके अलावा हम कुछ नहीं बोल सकते क्योंकि यह विदेश का मामला है. हमें भारत सरकार के बयान के अनुसार चलना होगा. किसी भी धर्म पर हमला स्वीकार्य नहीं है.
मोहम्मद यूनुस से नोबेल पुरस्कार वापस लेने की मांग
भाजपा नेता और राज्यसभा सांसद समिक भट्टाचार्य ने कहा कि बांग्लादेश में हिंदू खतरे में हैं. बांग्लादेश में हिंदुओं की बेरहमी से हत्या की जा रही है. भारत सरकार का इस मामले पर पूरी नजर है. इस्कॉन जो एक शांति और धार्मिक संगठन है, उसे ढाका में निशाना बनाया जा रहा है. बांग्लादेश में अल्पसंख्यक खतरे में हैं. मोहम्मद यूनुस को नोबेल शांति पुरस्कार मिला है. उनका पुरस्कार तुरंत वापस किया जाना चाहिए.