बांग्लादेश में हिंदुओं उनके धार्मिक स्थलों पर हो रहे हमले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं. जिसको लेकर भारत में सख्त नाराजगी देखी जा रही है. देश में बांग्लादेश के खिलाफ कई जगहों पर विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है, साथ ही हिंदुओं की रक्षा की मांग की जा रही है. इसको लेकर तमाम राजनीतिक दल भी आवाज उठा रहे हैं. इस बीच हिंदुओं की दुर्दशा को लेकर भारत में उठे सवालों से बांग्लादेश सरकार तिलमिला उठी है.
भारतीय संसद में विदेश मंत्रालय द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों के मुताबिक, 2022 में 47, 2023 में 302 और 2024 में 2,200 घटनाएं हिंदुओं के खिलाफ हिंसा की दर्ज की गईं. विदेश राज्यमंत्री कीर्तिवर्धन सिंह ने लोकसभा में लिखित जवाब में अल्पसंख्यक व मानवाधिकार संगठनों के आंकड़ों का हवाला देते हुए यह जानकारी दी.
तिलमिलाया बांग्लादेश
इन आंकड़ों को लेकर बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस के कार्यालय ने बयान जारी कर दावा किया है कि ये ‘बढ़ा-चढ़ाकर पेश किए गए हैं’ और सच्चाई से दूर हैं. बांग्लादेश के मुताबिक जनवरी से नवंबर 2024 के बीच धार्मिक अल्पसंख्यकों पर हिंसा के 138 मामले दर्ज हुए हैं, जिनमें 368 घरों पर हमले हुए और 82 लोग घायल हुए.
बांग्लादेश सरकार के तर्क
आरोपों को राजनीतिक बताया: उसका कहना है कि अधिकांश हमले अगस्त 2024 में बिना सरकार के सत्ता वाले दिनों में हुए थे.
कार्रवाई का दावा: अगस्त से दिसंबर 2024 के बीच 97 मामले दर्ज हुए और 75 लोगों को गिरफ्तार किया गया.
अन्य पक्ष: बांग्लादेश का कहना है कि इन घटनाओं को सांप्रदायिक मुद्दे की बजाय राजनीतिक हिंसा के तौर पर देखा जाना चाहिए
वहीं भारत ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रही हिंसा पर चिंता जताते हुए साफ किया कि ये घटनाएं केवल आंकड़ों तक सीमित नहीं हैं. भारत का कहना है कि बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हमलों का पैटर्न लगातार बढ़ता जा रहा है.
भारत सरकार की चिंता
मंदिरों और घरों पर हमले: 2024 में 2,200 घटनाओं के आंकड़े न केवल हिंसा की गंभीरता को दर्शाते हैं, बल्कि वहां के धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए बिगड़ते हालात को उजागर करते हैं.
हिंदुओं की सुरक्षा: भारत ने बांग्लादेश से आग्रह किया है कि वह हिंदुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करे और दोषियों को सजा दे.
बांग्लादेश में हिंदुओं के हालात
बांग्लादेश में हिंदुओं के साथ दुर्व्यवहार बढ़ता जा रहा है. अल्पसंख्यकों के हालात हर गुजरते दिन के साथ बदतर होते जा रहे हैं.
हमलों की घटनाएं
रोजाना मंदिरों, घरों और हिंदुओं पर हमले की घटनाएं सामने आ रही हैं.
भय का माहौल
हिंदू समुदाय अपने घरों और धर्मस्थलों पर हमलों के डर से जी रहा है.
अंतर्राष्ट्रीय दबाव
संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतर्राष्ट्रीय संगठन भी बांग्लादेश सरकार से अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर ध्यान देने की मांग कर रहे हैं.
भारत-बांग्लादेश संबंधों पर असर
बांग्लादेश का सच को नकारना दोनों देशों के संबंधों पर असर डाल रहा है. जहां भारत बांग्लादेश को अपना करीबी पड़ोसी और रणनीतिक साझेदार मानता है, वहीं अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों को लेकर बढ़ती असंवेदनशीलता दोनों देशों के बीच विश्वास को कमजोर कर सकती है.चोरी और सीनाज़ोरी की राजनीति से बांग्लादेश को बाहर निकलकर सच को स्वीकार करने और जिम्मेदारी से काम करने की जरूरत है.