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कांवड़ विवाद पर भारत को घेरने की कोशिश, अमेरिकी प्रवक्ता ने पाकिस्तानी पत्रकार की बोलती बंद की

उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में कांवड़ यात्रा रूट पर दुकानदारों के नाम सार्वजनिक करने के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम रोक लगा दी है और इससे जुड़ा विवाद थमता नजर आ रहा है. लेकिन पाकिस्तान इसे लेकर नया ही राग अलापने में लगा है. पाकिस्तान के एक पत्रकार ने इस मामले को अमेरिकी विदेश मंत्रालय के समक्ष उठाया और भारत को घेरने की कोशिश की. हालांकि, अमेरिकी मंत्रालय ने जिस तरीके से इसका जवाब दिया, पाकिस्तान पत्रकार की बोलती बंद हो गई. अमेरिका ने कहा कि दुकानदारों के नाम सार्वजनिक करने का आदेश लागू नहीं हुआ है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने इस पर अंतरिम रोक लगा दी है.

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अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर से प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पाकिस्तानी पत्रकार ने सवाल किया, ‘भारतीय मीडिया में ऐसी रिपोर्ट्स आ रही हैं कि कुछ राज्यों में बीजेपी सरकार मुस्लिमानों की खाने-पीने की दुकानों पर अपना मुस्लिम नाम लिखने के लिए बाध्य कर रही है. मुसलमानों के खिलाफ बढ़ते नफरत को देखते हुए उन्हें डर है कि इससे उनके लिए और समस्याएं खड़ी हो जाएंगी. किसी भी सरकार की इस तरह की कार्रवाई पर आपका क्या राय है?’

जवाब में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, ‘हमने वो रिपोर्ट भी देखी है कि भारत की सुप्रीम कोर्ट ने 22 जुलाई को इस तरह के आदेश को लागू करने पर अंतरिम रोक लगा दी है, इसलिए अब वो आदेश प्रभावी नहीं है.’

मिलर ने आगे कहा, ‘जैसा कि हम हमेशा कहते हैं, हम दुनियाभर के धार्मिक स्वतंत्रता के सम्मान को बढ़ाना देने और उसे बचाने के लिए प्रतिबद्ध हैं. सभी धार्मिक समुदायों के लोगों के साथ समान व्यवहार के महत्व को लेकर हम अपने भारतीय समकक्षों से लगातार बात करते रहे हैं.’

सुप्रीम कोर्ट ने आदेश पर लगाई अंतरिम रोक

सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने कांवड़ रूट पर खाने-पीने की दुकानों पर मालिक का नाम सार्वजनिक करने के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी. उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश की सरकारों को एक नोटिस जारी करते हुए कोर्ट ने कहा कि खाने-पीने की दुकानों पर बस ये लिखा जाना चाहिए वो किस तरह का खाना परोस रहे हैं.

उत्तर प्रदेश सरकार को इस आदेश को लिए विपक्ष और केंद्र में अपने सहयोगी दलों से भी आलोचना का सामना करना पड़ा है. विपक्ष ने आरोप लगाया कि आदेश हिंदू और मुस्लिम दुकानदारों के बीच आर्थिक खाई पैदा करने की कोशिश है.

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