मध्य प्रदेश : भारतीय जनता पार्टी ने अपने सांगठनिक ढांचे को मजबूती देने की प्रक्रिया तेज कर दी है। 62 संगठनात्मक जिलों में से अब तक 30 से अधिक की कार्यकारिणी घोषित हो चुकी है। इसी कड़ी में, रीवा जिला बीजेपी के लिए भी नई जिला स्तरीय नेतृत्व टीम का ऐलान कर दिया गया है। यह कदम आगामी राजनीतिक चुनौतियों से पहले संगठनात्मक ताकत को मजबूत करने की रणनीति का हिस्सा है.
इन प्रमुख चेहरों को मिली जिम्मेदारी
इस महत्वपूर्ण नियुक्ति को बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल ने मंजूरी दी, जिसकी औपचारिक घोषणा रीवा बीजेपी के जिला अध्यक्ष वीरेंद्र कुमार गुप्ता ने की.वीरेंद्र गुप्ता ने बताया कि यह टीम अनुभवी नेताओं और युवा चेहरों का संतुलन है, जिसका लक्ष्य जिले में पार्टी की जड़ें और मजबूत करना है.घोषित नई कार्यकारिणी में सात जिला उपाध्यक्ष, तीन महासचिव, सात सचिव और दो वित्त संबंधी पद शामिल हैं.
जिम्मेदार पदाधिकारियों की सूची:
उपाध्यक्ष 7: प्रबोध व्यास, मनीषा पाठक, अशोक सिंह गहरवार, शरद साहू, राजेश प्रताप सिंह, मनीष चंद्र शुक्ला और संध्या कोल (गौटिया)
जिला महामंत्री (3): उमाशंकर पटेल, विवेक गौतम और जीवनलाल साकेत.
सचिव (7): कल्पना पटेल, रविराज विश्वकर्मा, प्रणेश ओझा, गीता मांझी, बृजेंद्र गौतम, सुमन शुक्ला और बाबूलाल यादव।
कोषाध्यक्ष: वासुदेव ठावानी
सहायक कोषाध्यक्ष: अलकनायर केशरवानी
जातिगत और लैंगिक समीकरण
इस कार्यकारिणी में एक विशेष बात यह है कि पार्टी ने सबसे ज्यादा ब्राह्मण चेहरों को मौका दिया है.यह रीवा क्षेत्र के जातिगत समीकरणों को साधने की बीजेपी की रणनीति को दर्शाता है. इसके साथ ही, पाँच महिला नेताओं को भी महत्वपूर्ण पदों पर शामिल किया गया है, जिनमें उपाध्यक्ष के तौर पर मनीषा पाठक और संध्या कोल, तथा सचिव के तौर पर कल्पना पटेल, गीता मांझी और सुमन शुक्ला शामिल हैं. यह नियुक्ति महिला नेतृत्व और लैंगिक संतुलन पर भाजपा के फोकस को स्पष्ट करती है.
मिशन 2024 की तैयारी
जिला अध्यक्ष वीरेंद्र गुप्ता ने जोर देकर कहा कि नई टीम का गठन प्रदेश नेतृत्व की सहमति से हुआ है.उन्होंने उम्मीद जताई कि यह कार्यकारिणी अनुशासन बनाए रखते हुए पार्टी के कार्यक्रमों को जमीनी स्तर तक पहुँचाने और संगठन की पकड़ मजबूत करने में अहम भूमिका निभाएगी.
रीवा की नई टीम का गठन ऐसे समय में हुआ है जब प्रदेश की राजनीति में हलचल बढ़ रही है.भाजपा का यह कदम साफ तौर पर आगामी चुनावों को ध्यान में रखकर अपनी संगठनात्मक तैयारी को पुख्ता करने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है.