भगवान के नारियल की नीलामी, भक्त ने चुकाए 5,71,001 रुपये

कर्नाटक के बागलकोट जिले के जामखंडी तालुक के चिक्कलखी गांव में आयोजित वार्षिक मलिंगारायण मेले में इस बार आस्था और परंपरा का अद्भुत नजारा देखने को मिला. यहां भगवान को अर्पित एक नारियल की नीलामी में भक्तों ने जमकर बोली लगाई. नीलामी की शुरुआत लाखों रुपये से हुई और अंत में यह नारियल 5,71,001 रुपये में विजयपुरा जिले के टिकोटा गांव के रहने वाले भक्त महावीर हराके ने खरीदा. इस घटना ने पूरे इलाके में चर्चा का माहौल बना दिया है.

गांव में हर साल श्रावण मास के उत्सवों के समापन पर मलिंगारायण मेले का आयोजन किया जाता है. परंपरा के तहत देवता और उनके सिंहासन पर रखी वस्तुओं की नीलामी होती है. इनमें सबसे खास महत्व भगवान को अर्पित नारियल का होता है, जिसे साधारण फल नहीं बल्कि शुभ और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है. भक्तों का विश्वास है कि इस नारियल की कीमत धन से नहीं बल्कि आस्था से आंकी जाती है.

इस बार नीलामी में महावीर हराके, चिक्कलखी गांव के मुदुकप्पा पाटेदार और गोठे गांव के सदाशिव मैगुर के बीच कड़ा मुकाबला हुआ. अंत में महावीर ने सबसे ऊंची बोली लगाकर नारियल अपने नाम कर लिया. गौरतलब है कि इससे पहले भी उन्होंने इसी मेले में 6,50,001 रुपये की बोली लगाकर नारियल खरीदा था.

नारियल जीतने के बाद महावीर हराके ने कहा कि यह केवल खरीददारी नहीं, बल्कि ईश्वर के प्रति भक्ति और श्रद्धा का प्रतीक है. उन्होंने कहा कि मलिंगाराय की कृपा से उन्हें धन और समृद्धि मिली है और यह उनका सौभाग्य है कि उन्हें फिर से भगवान का नारियल प्राप्त हुआ.

इस घटना ने यह साबित किया है कि समय चाहे कितना भी बदल जाए, परंपराएं और भक्ति की भावना आज भी उतनी ही प्रबल है. गांव के लोग मानते हैं कि ऐसी नीलामी से न केवल धार्मिक आस्था मजबूत होती है बल्कि सामाजिक एकता और परंपराओं की भी रक्षा होती है. यही वजह है कि हर साल इस मेले का इंतजार भक्त बड़ी श्रद्धा के साथ करते हैं.

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