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उद्धव ठाकरे को सीएम बनने का आशीर्वाद देकर आए थे अविमुक्‍तेश्‍वरानंद, अब बताने लगे महाराष्‍ट्र में बीजेपी की जीत का फॉर्मूला

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में महायुति गठबंधन की जोरदार जीत पर शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने गठबंधन की जीत का फॉर्मूला बताया है. उनका कहना है कि महायुति गठबंधन को दैवीय शक्ति ने जिताया है. महायुति गठबंधन ने 230 विधानसभा सीटों पर जीत हासिल की है, जिनमें से 132 पर भारतीय जनता पार्टी (BJP), एकनाथ शिंदे की शिवसेना को 57 और नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (अजित पवार गुट) को 41 सीटों पर जीत मिली है.

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अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि चुनावी पंडित कुछ दिन पहले तक कह रहे थे कि महायुती सरकार की स्थिति खराब होगी. लोकसभा का चुनाव हुआ तो उसमें परिणाम भी उसी तरह के आ गए. ऐसी परिस्थिति में और भी यही धारणा बन गई. उसके बाद भी वैसा ही चलता रहा. ज्यादा से ज्यादा खींचतान कर लेकर आए कि कुछ भी हो सकता है.

उन्होंने कहा, ‘आज तक के इतिहास में ऐसी जीत किसी पार्टी या गठबंधन की नहीं हुई, जो अब हो गई. तो ये पता क्यों नहीं चला लोगों को, इसलिए नहीं चला कि यहां पर दैवीय शक्ति काम कर रही थी. दैवीय शक्ति जब काम करती है तो मनुष्य उसका आकलन नहीं कर पाता है. हम लोगों को आभास था इसलिए आपने देखा होगा कि इतिहास में पहली बार एक शंकराचार्य के रूप में किसी की पार्टी के लिए हमने कहा कि जनता को चाहिए कि उसको वोट करे, आशीर्वाद दे, ये क्यों कहा, हम क्या अपनी मर्यादा भूल रहे थे? नहीं भूल रहे थे, लेकिन हम दैवीय जो शक्ति है, उसका अनुभव कर रहे थे कि ये आशीर्वाद एकनाथ शिंदे को मिल गया.

शंकराचार्य ने कहा कि एकनाथ शिंदे ने धारा से विपरीत जाकर 78 साल की आजादी के इतिहास में जो कोई नहीं कर पाया, ऐसा काम कर दिया. गाय माता को पशुओं की सूची से हटाकर राज्य माता का दर्जा दिया. उसी समय हम लोगों को लगा था कि गाय माता का आशीर्वाद इस शख्स को मिलेगा. जैसे-जैसे चुनाव आता गया ये बात हमें दृढ़ता से समझ आती गई हमको बड़ी प्रसन्नता है कि गौमाता ने अपने बेटे एकनाथ शिंदे को इस तरह का आशीर्वाद दिया.

उद्धव ठाकरे की शिवसेना के प्रदर्शन पर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि महाराष्ट्र की जनता ने शिवसेना की धारा को बरकरार रखा है इसलिए महाराष्ट्र की जनता ने उन्हें प्यार भी दिया है, 57 सीटें दी हैं. इसका मतलब है कि बाला साहेब ठाकरे का जो विचार था हिंदुत्व के पक्ष में वो आज भी जीवित है. हालांकि, उसका नेतृत्व अब उनके बेटे नहीं कर रहे, बल्कि शिष्य कर रहे हैं. उद्धव ठाकरे की शिवसेना सिर्फ 24 सीटों पर ही जीत सकी.

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