गोवा की आयशा यूपी में बांटती थी करोड़ों रुपए, मनोज खरीदता था मोबाइल… खुला आगरा के धर्मांतरण गैंग का सारा कनेक्शन

आगरा में खुले धर्मांतरण के खतरनाक खेल में साजिश की परतें धीरे-धीरे खुल रही हैं. वैसे तो इस पूरे नेटवर्क का खुलासा एक मामूली गुमशुदगी की जांच से हुआ, लेकिन अब चौंकाने वाला सच सामने आ रहा है. पुलिस जांच में सामने आया कि इस पूरे नेटवर्क की फंडिंग गोवा की रहने वाली आयशा उर्फ एसबी कृष्णा करती थी.कनाडा में बैठे सैय्यद दाऊद अहमद से आने वाली फंडिंग को आयशा ही भारत में बांटती थी. इस पैसे को यूएई, लंदन और अमेरिका जैसे रास्तों से होकर भारत भेजा जाता था, ताकि ट्रैक करना मुश्किल हो.

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पुलिस और ATS की संयुक्त जांच में सामने आया है कि यह कोई साधारण धर्मांतरण का मामला नहीं, बल्कि ISIS और लश्कर-ए-तैयबा के पैटर्न पर चल रही भारत विरोधी साजिश का हिस्सा था. जिसमें देश-विदेश से जुड़े लोग, करोड़ों की फंडिंग, फर्जी पहचान, टेक्नोलॉजी का दुरुपयोग और मासूम नाबालिग लड़कियों को निशाना बनाकर उन्हें ब्रेनवाश करने जैसी तमाम चीजें शामिल थीं.

दो बहनों की गुमशुदगी से खुली गहरी साजिश
आगरा में 24 मार्च 2025 को में दर्ज एक केस ने पूरे मामले को खोलने में मदद की. दो बहनों की गुमशुदगी के बाद जब पुलिस ने जांच की तो पता चला कि इनमें से बड़ी बहन पहले भी 2021 में घर से गायब होकर कश्मीर चली गई थी. वहां उसकी मुलाकात सायमा नाम की एक महिला से हुई थी, जिसने नेट कोचिंग के दौरान ही उसे इस्लाम की तरफ झुकाव पैदा कर दिया. सायमा ने उसे कश्मीर चलने के लिए तैयार किया, और एक दिन वह श्रीनगर पहुंच गई. संयोगवश रास्ते में भूस्खलन हुआ, जिससे समय रहते पुलिस ने उसे खोज निकाला और घर वापस भेज दिया. मगर 4 साल बाद वही लड़की अपनी 19 वर्षीय छोटी बहन को लेकर फिर लापता हो गई. इस बार दोनों को कोलकाता से बरामद किया गया.

आयशा उर्फ एसबी कृष्णा: नेटवर्क की फाइनेंसर

पुलिस जांच में सामने आया कि इस पूरे नेटवर्क की फंडिंग गोवा की रहने वाली आयशा उर्फ एसबी कृष्णा करती थी. आयशा का असली नाम अभी तक सार्वजनिक नहीं किया गया है, लेकिन ये साफ हो चुका है कि उसका काम नेटवर्क को फाइनेंशियल तौर पर मजबूत करना था. कनाडा में बैठे सैय्यद दाऊद अहमद से आने वाली फंडिंग को आयशा ही भारत में बांटती थी. इस पैसे को यूएई, लंदन और अमेरिका जैसे रास्तों से होकर भारत भेजा जाता था, ताकि ट्रैक करना मुश्किल हो.

लीगल काम देखता था शेखर राय उर्फ हसन अली

जांच में पता चला है कि आयशा का पति शेखर राय उर्फ हसन अली कोलकाता से ऑपरेट करता था. वह नेटवर्क का कानूनी सलाहकार था. धर्मांतरण के लिए जरूरी दस्तावेज, नाम बदलवाने की प्रक्रिया, फर्जी पहचान पत्र बनवाना ये सब काम वही संभालता था. दिल्ली से गिरफ्तार किया गया मनोज उर्फ मुस्तफा गिरोह का वह किरदार था जो नाबालिग लड़कियों को नई जिंदगी का सपना दिखाकर बहकाता था. वह लड़कियों के लिए नए मोबाइल और फर्जी नाम-पते पर सिम कार्ड्स का इंतजाम करता था. लड़कियों को ट्रेन से नहीं, बल्कि बसों से भेजा जाता था ताकि ट्रेस न हो सकें. दिल्ली से उन्हें उत्तर भारत के अलग-अलग हिस्सों में शिफ्ट किया जाता, जहां उनसे इस्लामी जीवनशैली अपनाने के लिए दबाव डाला जाता.

प्रोपेगेंडा भी फैलाने का आरोप

अगला बड़ा नाम है अब्दुल रहमान कुरैशी, जो आगरा का ही रहने वाला है. रहमान YouTube पर एक चैनल चलाता था और अपने पॉडकास्ट के ज़रिए इस्लामी कट्टरपंथ और हिंदू धर्म के खिलाफ प्रोपेगेंडा फैलाता था. उसके साथ कोलकाता से गिरफ्तार ओसामा भी लड़कियों को इस्लामी बहन बनाने की ट्रेनिंग देता था. वीडियो के ज़रिए हिंदू धार्मिक प्रतीकों का अपमान किया जाता था और उन्हें बुतपरस्ती बताकर मानसिक तौर पर कमजोर किया जाता था.

माता-पिता की आपबीती

पीड़ित परिवार की बात करें तो उनके शब्दों में वो दर्द और झटका साफ नजर आता है जिसे किसी भी सामान्य परिवार ने कभी सोचा नहीं होगा. बड़ी बेटी कभी नवरात्रि के व्रत रखने वाली, देवी-देवताओं में श्रद्धा रखने वाली थी, लेकिन कश्मीर से लौटने के बाद वह गणेश भगवान को सूंड़ वाला देवता बात करने लगी. वह हिजाब पहनने लगी, पर्दा करने की बात करती, और परिवार को बुतपरस्त कहकर उनका विरोध करने लगी. परिवार का कहना है कि उन्होंने चार साल तक अपनी बेटी पर नजर रखी, घर से बाहर तक नहीं निकले, लेकिन अंततः वह अपनी 19 साल की बहन को लेकर भाग गई.

ATS और पुलिस को मिले इंटरनेशनल लिंक

आगरा पुलिस और ATS की जांच में सामने आया कि इस पूरे धर्मांतरण नेटवर्क का जुड़ाव लश्कर-ए-तैयबा से भी है. विदेशों से जो पैसा आता था, उसे आतंकी गतिविधियों में लगाया जाता था. आरोपी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स जैसे Instagram, Facebook, YouTube पर सक्रिय थे. उन्होंने PM नरेंद्र मोदी और CM योगी आदित्यनाथ के पूजा करते हुए वीडियो पोस्ट किए और बताया कि इस्लाम में मूर्ति पूजा हराम है.

प्रोपेगेंडा और फंडिंग का भी मकसद

ATS अधिकारियों के अनुसार, इस गिरोह का मकसद केवल धर्मांतरण नहीं था, बल्कि भारत को धीरे-धीरे इस्लामिक राष्ट्र बनाने की साजिश थी. इसके लिए युवाओं को टारगेट किया गया, नौकरी और पैसे का लालच देकर उन्हें संगठन से जोड़ा गया. हर धर्मांतरित व्यक्ति को आर्थिक मदद, घर और सोशल सिक्योरिटी दी जाती थी, ताकि वह वापस न लौटे. युवतियों को विशेष रूप से टारगेट किया गया क्योंकि उनका इस्तेमाल लव जिहाद और आगे अन्य लोगों को लाने के लिए किया जाता था. अब पीड़ित परिवारों का यही कहना है कि बच्चों को केवल पढ़ाई ही नहीं, बल्कि अपने धर्म के मूल सिद्धांतों की भी शिक्षा देना जरूरी है.

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