अयोध्या : राम मंदि‍र की पहली ईंट रखने वाले कामेश्वर चौपाल का न‍िधन, अस्वस्थ होने के कारण चल रहा था इलाज

अयोध्या : राम मंदिर आंदोलन में ऐतिहासिक भूमिका निभाने वाले कामेश्वर चौपाल का आज दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में निधन हो गया। वे पिछले एक वर्ष से अस्वस्थ थे और अगस्त 2024 में उनकी किडनी ट्रांसप्लांट की गई थी.

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कामेश्वर चौपाल वह शख्सियत थे, जिन्होंने 9 नवंबर 1989 को अयोध्या में श्रीराम मंदिर के शिलान्यास के दौरान पहली ईंट रखी थी. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने उन्हें प्रथम कारसेवक का दर्जा दिया था. उनके निधन से भारतीय जनता पार्टी (BJP), विश्व हिंदू परिषद (VHP) और संघ परिवार में शोक की लहर दौड़ गई है.

 

राम मंदिर आंदोलन में अग्रणी भूमिका

सुपौल जिले के कमरैल गांव में जन्मे कामेश्वर चौपाल का नाम राम मंदिर आंदोलन के स्वर्णिम पन्नों में दर्ज है। जब 1989 में लाखों राम भक्त अयोध्या पहुंचे थे, तब धर्मगुरुओं ने तय किया कि राम मंदिर शिलान्यास की पहली ईंट किसी दलित कार्यकर्ता द्वारा रखवाई जाएगी. यह जिम्मेदारी कामेश्वर चौपाल को दी गई और उन्होंने पूरे विश्वास और श्रद्धा के साथ यह ऐतिहासिक कार्य किया.

इसके बाद वे राजनीति में सक्रिय हो गए. वे विश्व हिंदू परिषद के संयुक्त सचिव रहे और 2002 में बिहार विधान परिषद के सदस्य बने। भाजपा ने उन्हें प्रदेश महामंत्री की जिम्मेदारी भी सौंपी थी.

 

“रोटी के साथ राम” का नारा

राम मंदिर आंदोलन के दौरान कामेश्वर चौपाल ने “रोटी के साथ राम” का नारा दिया, जो सामाजिक समरसता और धर्मनिष्ठा का प्रतीक बना। उन्होंने 1991 में रोसड़ा लोकसभा सीट और 1995 में बेगूसराय की बखरी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन सफलता नहीं मिली। हालांकि, उनकी राजनीतिक सक्रियता और संगठन में योगदान को देखते हुए वे 2002 से 2014 तक बिहार विधान परिषद के सदस्य रहे

 

बीजेपी और संघ में शोक की लहर

कामेश्वर चौपाल के निधन से भाजपा और संघ परिवार में शोक की लहर है. राम मंदिर आंदोलन के प्रमुख चेहरों में से एक रहे चौपाल का जाना एक युग के अंत जैसा है। बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं ने उनके निधन पर गहरा दुख जताया है.

उनकी अंतिम यात्रा में राम मंदिर आंदोलन से जुड़े अनेक प्रमुख संत, संघ और भाजपा के वरिष्ठ नेता शामिल होंगे. उनका योगदान हमेशा भारतीय राजनीति और समाज में याद रखा जाएगा.

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