अयोध्या : रामनगरी की पवित्र भूमि पर स्थित एक प्राचीन मंदिर में हर दिन एक अद्भुत और आस्था से परिपूर्ण दृश्य देखने को मिलता है—प्राकृतिक रूप से भगवान श्रीराम का सूर्य तिलक. यह दृश्य किसी तकनीकी सहायता से नहीं, बल्कि प्रकृति और स्थापत्य की अनोखी संरचना से संभव होता है.
रामनवमी के शुभ अवसर पर जब पूरा देश भगवान राम का जन्मोत्सव मना रहा था, तब इस मंदिर में सूर्य की किरणों ने करीब चार से पांच मिनट तक भगवान श्रीराम और माता सीता के मुख मंडल को प्रकाशित किया. इसे विज्ञान और अध्यात्म का अद्भुत संगम बताया जा रहा है.
अति प्राचीन दंतधावन कुंड आचारी मंदिर, जिसकी स्थापना विष्णु प्रकाशाचार्य ने की थी, अपनी अद्भुत वास्तुकला के कारण यह दिव्य घटना रोज़ संभव बनाता है. मंदिर के वर्तमान महंत विवेक आचारी, जो परंपरा की 13वीं पीढ़ी से हैं, बताते हैं कि मंदिर का गर्भगृह पूर्व दिशा की ओर है और उत्तर दिशा में बना एक विशेष झरोखा हर सुबह सूर्य की किरणों को इस प्रकार मंदिर में प्रवेश करने देता है कि वे सीधे भगवान श्रीसीताराम के मुख पर पड़ती हैं और धीरे-धीरे चरणों तक जाती हैं.
रामनवमी पर विशेष रूप से सुबह 8:15 से 8:20 के बीच सूर्य की किरणों ने भगवान को तिलक किया, जिसे सैकड़ों श्रद्धालुओं ने देखा और इस चमत्कारी दृश्य का साक्षात्कार किया.
यह मंदिर, जहाँ आस्था, वास्तुशिल्प और प्रकृति का अद्भुत मिलन होता है, न सिर्फ भक्तों के लिए एक आस्था का केंद्र है, बल्कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी एक शोध का विषय बन गया है.
रामलला मंदिर में ISRO और CBRI की सहायता से ऐसी व्यवस्था स्थायी रूप से की गई है, लेकिन दंतधावन कुंड मंदिर में यह पूरी तरह प्राकृतिक रूप से हर दिन घटित होता है, जो इसे और भी विशेष बनाता है.यह घटना एक बार फिर दर्शाती है कि भारत के प्राचीन मंदिर केवल श्रद्धा के केंद्र ही नहीं, बल्कि विज्ञान और प्रकृति के गहन ज्ञान का भी प्रतीक हैं.