अयोध्या, – रामनवमी के पावन अवसर पर रामनगरी अयोध्या श्रद्धा, भक्ति और भव्यता की त्रिवेणी में पूर्णतः सराबोर नजर आई. यह ऐतिहासिक दिन न केवल धार्मिक भावनाओं से ओतप्रोत था, बल्कि तकनीकी कौशल और सांस्कृतिक गौरव का अनुपम संगम भी देखने को मिला.
रामलला के प्राकट्य महोत्सव को इस वर्ष एक अद्वितीय अलौकिक रूप मिला जब भगवान श्रीराम के मस्तक पर सूर्य की किरणों से ‘सूर्य तिलक’ किया गया. यह अद्वितीय क्षण जैसे स्वर्गीय आभा से परिपूर्ण था, जिसने लाखों श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक ऊर्जा और रोमांच से भर दिया.
इस ऐतिहासिक घटना को संभव बनाने के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (CBRI) के वैज्ञानिकों ने महीनों की मेहनत और अत्याधुनिक गणनाओं के माध्यम से विशेष यंत्रों का उपयोग किया। सूर्य की पहली किरण जब रामलला के मस्तक पर पड़ी, तो पूरा वातावरण मंत्रमुग्ध हो उठा.
राम मंदिर को फूलों, दीपों और वैदिक शिल्प की अद्वितीय सजावट से सजाया गया था. दर्शनार्थियों के स्वागत हेतु रेड कारपेट बिछाई गई, और पूरे परिसर में श्रीराम के जयघोष, भजन-कीर्तन, मंत्रोच्चार और धार्मिक अनुष्ठानों की दिव्य ध्वनि गूंजती रही.
पूरे अयोध्या शहर ने एक अलौकिक सौंदर्य धारण कर लिया था. सरयू घाट से लेकर प्रमुख मंदिरों तक रामनवमी का उल्लास हर दिशा में बिखरा हुआ था.
इस शुभ अवसर का सीधा प्रसारण दूरदर्शन सहित विभिन्न डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर किया गया, जिससे भारत ही नहीं, बल्कि विश्वभर के करोड़ों श्रद्धालु इस पुण्य क्षण के साक्षी बन सके.
रामनवमी का यह दिव्य उत्सव एक बार फिर यह सिद्ध कर गया कि अयोध्या केवल भक्ति का तीर्थ नहीं, बल्कि भारत की सनातन संस्कृति और गौरवशाली विरासत का प्राण है.