अयोध्या: एक महीने में श्रद्धालुओं के लिए खुलेगा पूरा रामजन्मभूमि परिसर, जानें क्या होगा खास

अयोध्या: रामभक्तों के लिए बड़ी खुशखबरी सामने आ रही है, जहां भव्य राम मंदिर परिसर के दरवाजे अब श्रद्धालुओं के लिए पूरी तरह खुलने जा रहे हैं। निर्माण कार्य के अंतिम चरण में पहुंच चुके रामजन्मभूमि परिसर के सभी मंदिर एक महीने के भीतर भक्तों के दर्शन के लिए खोल दिए जाएंगे। राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेन्द्र मिश्र ने बताया कि अयोध्या स्थित अंतरराष्ट्रीय रामकथा संग्रहालय में भी तेजी से काम चल रहा है।

यहां राम कथा को दर्शाने के लिए 20 अत्याधुनिक गैलरी तैयार की जा रही हैं। इन गैलरियों में रामकथा को डिजिटल, इंटरएक्टिव और ऑडियो-विजुअल तकनीक से जीवंत किया जाएगा। स्क्रिप्ट लेखन का कार्य भी युद्धस्तर पर जारी है, जिसमें रामकथा संग्रहालय की दो गैलरियों में राम मंदिर से जुड़ा 500 वर्षों का कानूनी इतिहास दर्शाया जाएगा। साथ ही खुदाई में प्राप्त पुरातात्विक अवशेष और मंदिर निर्माण से जुड़े दुर्लभ प्रमाण भी प्रदर्शित किए जाएंगे।

संग्रहालय के बेसमेंट में भगवान राम के अंतरराष्ट्रीय स्वरूप को दिखाया जाएगा। इसमें कहाँ-कहाँ होती है राम की पूजा, किस रूप में पूजे जाते हैं, इसकी जानकारी दी जाएगी। वहीं, IIT चेन्नई की टीम हनुमान जी पर विशेष गैलरी तैयार कर रही है, जो नवंबर-दिसंबर तक पूरी होगी। साथ ही राम मंदिर की 32 खिड़कियों पर टाइटेनियम की विशेष जालियां लगाई जा रही हैं। यह जाली न सिर्फ हल्की और मजबूत है बल्कि 1000 वर्षों तक जंग-रहित और सुरक्षित रह सकती है। 15 अगस्त तक यह काम भी पूरा कर लिया जाएगा।

मंदिर निर्माण में कुल 14 लाख घन फीट पत्थर का प्रयोग होना है, जिसमें से 13 लाख घन फीट का उपयोग हो चुका है। जुलाई के अंत तक शेष कार्य भी पूर्ण हो जाएगा। मंदिर के 800 फीट लंबे लोअर प्लिंथ पर रामकथा के दृश्य उकेरे जा रहे हैं। अब तक 500 फीट का कार्य पूर्ण। परकोटे की 780 मीटर लंबी दीवार पर भी 80 कांस्य पैनल लगाए जा रहे हैं, जिनमें 45 लग चुके हैं।

मंदिर निर्माण के दौरान रामलला जहाँ विराजमान रहे उस फाइबर गर्भगृह को धरोहर के रूप में संरक्षित किया जाएगा। इसे अब सागौन की लकड़ी और अनब्रेकेबल शीशे से सुरक्षित बनाया जाएगा। अयोध्या का राम मंदिर न सिर्फ एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, परंपरा और तकनीक के अद्भुत संगम का प्रतीक बनकर उभर रहा है। श्रद्धालुओं को आने वाले दिनों में यहाँ आस्था के साथ-साथ इतिहास, विज्ञान और कला का अद्भुत अनुभव भी मिलेगा।

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