महाकुंभ में काफी सुर्खियां बटोर चुके IIT वाले बाबा का कोई एक ठिकाना नहीं है.जुना अखाड़े से निकाले जाने के बाद वह हर बार एक नई जगह पाए जाते हैं, इस बार IIT वाले बाबा उर्फ अभय सिंह संगम के करीब देर रात तंत्र मंत्र करते नज़र आए और यहां उन्होंने खास बातचीत की.
1. आप ये क्या कर रहे हैंं? इस पूजा से किस तरह की एनर्जी जनरेट कर रहे हैं?
-ये एक बैलेंस वाली एनर्जी है, यूनिवर्स का बैलेंस- एक अपवर्ड जाने के लिए और एक डाउनवर्ड के लिए.अगर मैं यूनिवर्स के साथ सिंक में आ गया तो यूनिवर्स की एनर्जी भी मैच कर जाएगी.
2. वो एनर्जी कैसे आएगी?
-उसके लिए तो ध्यान ही कर सकते हैं. अभय आगे यंत्र को समझाते हुए बोलेते हैं- मुझे अगर एनर्जी बनानी होती है तो एक अगरबत्ती रहेगी साइड में, फिर एनर्जी के हिसाब से दीपक रखे जाएंगे.
3. आपकी कहानी भी साइंस और सनातन का मिश्रण है?
-मैं प्रिजेंट मोमेंट के हिसाब से एग्जिक्यूट करता हूं.
4. आपका कहना है कि जो है वह वर्तमान है, न भूत न भविष्य?
-जो जीते हो वो वर्तमान ही है, वर्तमान ही तो भूत बनता है बाद में.
5.लेकिन कुछ लोग भविष्य के बारे में चिंता करते हैं?
-भविष्य के बारे में चिंता करना सही नहीं है लेकिन भविष्य के बारे में सोच सकते हो, प्लान कर सकते हो. चिंता जो शब्द है वह अलग है, चिंता का मतलब है कि टेंशन हो गया.I can plan anything which my mind says and it must not have any space for a word like चिंता. फ्यूचर में ट्रैप नहीं होना है. हर प्रेजेंट मोमेंट को 100 प्रतिशत जीना है, और उसके हिसाब से ही आगे-आगे चीजें होती जाएंगी.
6. कर्म या भाग्य?
-कर्म… भगवान के हिसाब से सब विधान है, जिसने सब प्रकृति बनाई है उसको तो सब कुछ अंडरस्टैंडेबल है ना, उसके लिए तो कुछ भी अनसर्टेन नहीं है. महाकाल बोलते हैं, इसका मतलब उन्हें टाइम का सब दिखता है, उनके लिए कर्म नहीं है, उन्हें भाग्य का सब पता है. इंसान अपनी मर्जी से कुछ करता ही नहीं है लेकिन इंसान के एंगल से वह कर रहा है.
7. लोग कहते हैं कि कुछ लोग बिना कुछ किए आगे पहुंच जाते हैं, कुछ लोग कुछ भी नहीं पाते?
-चलता सब कर्म के सिद्धांत पर ही है, भाग्य भी कर्म के सिद्धांत पर ही लिखा गया है.
8. आप पुनर्जन्म में यकीन रखते हैं?
-होता है पुनर्जन्म, यह समझने के लिए आपको जन्म और मृत्य को समझना पड़ेगा.
9. मोह क्या है?
किसी चीज को पकड़ कर रखना. कोई मोमेंट जो अच्छा चल रहा है और मैं सोचूं यह ऐसा ही चलता जाए.असल में यूनिवर्स की टेंडेंसी है बदलाव की, लेकिन हम चाहते हैं कि सब कांस्टेंट रहे. यह उम्र के साथ होता है, पैसे के साथ होता है. लोग भूल जाते हैं कि सबकी मौत निश्चित है.
10. मोह, प्यार और लगाव में क्या अंतर है?
-लगाव का मतलब ही मोह है, प्रेम में अंतर है, वह बीच में रखता है, वह कांस्टेंट होने की कोशिश नहीं करता.आप सोचते हो शादी के बाद सब ऐसे ही रहे लेकिन वक्त के साथ सब इवॉल्व हो रहा है. अगर तुम सोचो कि कोई इंसान वैसे ही रहेगा तो वह कभी नहीं होगा.
11. नई जनरेशन के प्यार मोहब्बत के मायने आपके हिसाब से क्या हैं?
-वह अटैचमेंट ही है, डिजायर है. एक समझे जाने की डिजायर जिसकी वजह से इंसान दूसरे इंसान को ढूंढता है. कोई तो हो जो तुम्हे समझ पाए.
12. किसी से अलग हो जाना और उसके बाद भी उससे नफरत न कर पाना क्या है?
-नफरत तो वैसे भी नहीं करनी चाहिए, उनकी टेंडेंसी दूर जाने की थी वो चले गए. तुम्हारे पास आना होगा तो अपने आप चला आयेगा और जिसे रहना होगा वो वहीं पर रहेगा. उसे पकड़कर रखने की जरूरत नहीं पड़ेगी. कुत्ते को बांध दो तो वह मोह है और उसे खुला छोड़ दो फिर भी वह वहीं बैठा रहे वह प्रेम है.
13. मृत्यु क्या है?
-जो जन्मा था वही मरेगा, मनुष्य शरीर के अलावा भी कुछ है.आत्मा, वो नहीं मरती.
14. जब सब खत्म हो जाए तब क्या करें?
-कभी सब खत्म होता ही नहीं है, अभी मैं अकेला बैठा हूं लोग बोलते हैं सब खत्म हो गया. मै कहता हूं नहीं, दुनिया तो अपने हिसाब से चलती है, लोग इसीलिए सुसाइड करते हैं, कि यह नहीं हुआ तो अब कुछ नहीं बचा.
15. पीड़ा क्या है?
-दुख वाली पीड़ा अहंकार होता है, जैसे जिसे अपना मानते थे उसकी हानि हो जाए.
16. पीड़ा से निदान क्या है?
-पीड़ा से निदान मोक्ष है.
17. मोक्ष क्या है?
-जब लिमिटेड से अनलिमिटेड आइडेंटिफिकेशन में चले जाते हो, वह मोक्ष है.
18. जूना अखाड़ा की नाराजगी पर क्या कहेंगे?
-ऐसे कई लोग मिलते हैं जो पहले आपका फायदा उठाते हैं, जब तक फायदा मिल रहा है. फिर बाद में जो तुम कर रहे होते हो वह झूठ हो जाता है.
19. अभय सिंह अपने आप को कहां देखते हैं?
-सिविलाइजेशन में अभी बहुत काम करने की जरूरत है, लोगों में समझ ही नहीं है.
20. आपकी इस किताब (डायरी) में क्या कुछ है?
-अपनी डायरी दिखाते हुए अभय बोले- मैंने इसमें जो आइडेंटिफिकेशन है वहीं लिखा है. मैंने क्रिएशन ऑफ द यूनिवर्स को समझाया है. इसमें पुराण के हिसाब से मैथ्स के हिसाब से समझाया है. जब सब एक था तो अनेक हुआ क्यों, इच्छाओं की वजह से. यह भी समझाया है कि इच्छा और वासना मूल कारण हैं. इसमें लिखने से पहले मुझे ध्यान पर जाना पड़ता है.
21. युवा आपको देखते हैं, उनका सवाल होता है एग्जाम नहीं निकल रहा, डॉक्टर इंजीनियर नहीं बन पा रहे?
-आप या तो गलत जगह अपना टैलेंट इस्तेमाल कर रहे हो या आपको एटमॉस्फेयर नहीं मिल रहा है.हर कोई नहीं निकाल सकता एग्जाम.
बता दें कि इधर, जूना अखाड़ा के 16 मड़ी आश्रम में मौजूद दूसरे साधुओं के मुताबिक, अभय सिंह लगातार इंटरव्यू दे रहे थे, इसका असर उनके दिमाग पर पड़ रहा था और उन्होंने मीडिया से कुछ ऐसी बातें भी कहीं जो उचित नहीं थीं. उन्हें जूना अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरी के पास भी ले जाया गया था. अभय सिंह की मानसिक स्थिति देखकर जूना अखाड़े ने फैसला लिया कि उन्हें आश्रम छोड़ देना चाहिए और इसी के बाद देर रात अभय आश्रम से चले गए.