उज्जैन: इस साल दिवाली पर्व को मनाने को लेकर ज्योतिषाचार्यों की अलग-अलग राय बन रही है. कुछ ज्योतिषाचार्यों के अनुसार 31 अक्टूबर को तो कुछ के अनुसार 1 नवंबर को दिवाली मनाई जानी चाहिए. इन सब के बीच उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी ने साफ कह दिया है कि, महाकाल मंदिर में दिवाली 31 अक्टूबर को मनाई जाएगी. महाकालेश्वर मंदिर में दिवाली मनाने की परंपरा अनादि काल से चली आ रही है. इस दिन से भगवान महाकाल को गर्म जल से स्नान कराए जाने की परंपरा शुरू होती है, जो ठंड की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है.
महाकाल मंदिर में तय हुई दिवाली मनाने की डेट
उज्जैन महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी महेश पुजारी ने कहा, “देश में एक हिंदू और एक त्योहार की परंपरा होनी चाहिए. अलग-अलग तिथियों पर त्योहार मनाने से समाज में एकता का अभाव दिखता है.” उन्होंने सभी धार्मिक हिंदू संगठनों से अपील की कि, पूरे देश में एक ही दिन त्योहार मनाया जाए. उन्होंने कहा, “ज्योतिष के आधार पर तिथियों में अंतर आ जाता है, जिससे त्योहारों की तारीख बदल जाती है. इसलिए यह आवश्यक है कि इस परंपरा को एक रूप दिया जाए. काशी, अयोध्या और उज्जैन जैसे प्रमुख धार्मिक केंद्रों के विद्वानों द्वारा तय की गई तिथि को पूरे देश में मान्यता दी जानी चाहिए. महाकाल मंदिर प्रबंधन समिति ने दीपोत्सव को 31 अक्टूबर को मनाने का निर्णय लिया है.”
महाकाल को गर्म जल से स्नान कराया जाएगा
महाकालेश्वर मंदिर में रूप चौदस का पर्व 31 अक्टूबर की सुबह मनाया जाएगा, जिसमें भगवान को अन्नकूट का भोग लगाया जाएगा. यह अन्नकूट किसानों द्वारा दिए गए अन्न से बनाया जाता है, जिसे विशेष तरीके से कूटकर तैयार किया जाता है. दिवाली पर्व में लक्ष्मी पूजा भी धूमधाम से मनाई जाएगी. सुबह के समय भगवान को उबटन लगाया जाएगा, जिसे पुजारी परिवार की महिलाएं बनाती हैं. इसके बाद भगवान का गर्म जल से स्नान प्रारंभ किया जाएगा. महाकाल को गर्म जल से नहलाने का सिलसिला सर्दी के मौसम तक चलता है. दीपोत्सव के दौरान महाकाल मंदिर में दिये जलाए जाएंगे और फुलझड़ियां छोड़ी जाएंगी. हालांकि भक्तों की सुरक्षा के मद्देनजर फुलझड़ियों की संख्या 5 तक सीमित कर दी गई है.