चार गुना हुआ बाबा महाकाल का खजाना! कोरिडोर बनने के बाद बढ़ गई भक्तों की भीड़

धार्मिक नगरी उज्जैन में केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए महाकाल लोक के निर्माण से यहां की रौनक बदल गई है. यही वजह है कि यहां भारी संख्या में श्रद्धालुओं आते हैं. अगर महाकाल लोक के निर्माण से पहले की बात की जाए तो यहां हर दिन करीब 15 से 20 हजार श्रद्धालु पहुंचते थे. लेकिन महाकाल लोक के निर्माण और सुंदरीकरण की वजह से श्रद्धालुओं की संख्या में भारी बढ़ोतरी देखी जा रही है. अब प्रतिदिन करीब डेढ़ से 2 लाख श्रद्धालु पहुंच रहे हैं. बाबा महाकाल के प्रति श्रद्धा रखने और श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ने से दान में बढ़ोतरी हुई है. श्रद्धालु इस साल 60 करोड़ रुपए से अधिक का दान कर चुके हैं.

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महाकाल लोक के निर्माण के बाद से ही महाकाल मंदिर में दर्शन के लिए आने वाले भक्तों की संख्या में कई गुना वृद्धि हुई है. इसलिए दान की राशि में 4 गुना बढ़ोतरी हुई है. बाबा महाकाल के दर्शन करने के लिए प्रतिदिन 1 से डेढ़ लाख श्रद्धालु उज्जैन आ रहे हैं.

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महाकालेश्वर मंदिर के प्रशासक प्रथम कौशिक ने जानकारी देते हुए बताया कि विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में लगातार श्रद्धालुओं की संख्या में इजाफा हो रहा है. प्रतिदिन लगभग डेढ़ से 2 लाख श्रद्धालु बाबा महाकालेश्वर के दर्शन करने के लिए पहुंच रहे हैं. विगत 2 वर्षों में अगर श्रद्धालुओं की बात की जाए तो यह संख्या लगभग 12 करोड़ 32 लाख हो चुकी है. यहां आने वाली दान की राशि में भी बढ़ोतरी हुई है. इस वर्ष दान की राशि का आंकड़ा लगभग 60 करोड़ के पार पहुंच चुका है.

साल दर साल बढ़ी दान राशि

उन्होंने कहा कि श्री महाकाल लोक वर्ष 2022 के अक्टूबर माह में भक्तों के लिए खोल दिया गया था. उस समय 2021-2022 की दान राशि लगभग 20 करोड़ थी, लेकिन 2022-2023 में दान राशि बढ़कर लगभग 39 करोड़ हो गई. वर्ष 2023 से 2024 में दान राशि लगभग 60 करोड़ तो 2024 से 2025 में दान में आई राशि लगभग 60 करोड़ रुपए पहुंच चुकी है. इस राशि की बात की जाए तो इतनी बड़ी संख्या में बाबा का खजाना दान पेटी, नगद राशि, ऑनलाइन से हुई आय व राशि चेक द्वारा दिए गए दान से ही मिला है. इस राशि में भस्म आरती शुल्क, श्रृंगार, आभूषण, लड्डू प्रसाद, भस्म आरती और अन्य दान को नहीं जोड़ा गया है.

यह भी मिला दान पेटी से

मंदिर प्रशासक प्रथम कौशिक ने कहा कि मंदिर की दान पेटी से 64 किलोग्राम के ऐसे आभूषण है जो की दानपेटी से कैश के साथ निकले हैं. जिसमें हीरे की अंगूठी, बेशकीमती घड़ियां, डॉलर सहित अन्य देशों की मुद्रा भी शामिल है.

ऐसे बड़ी मंदिर की आय

मंदिर प्रशासक प्रथम कौशिक ने बताया कि दान के अलावा के अन्य स्रोतों से भी मंदिर की आय बढ़ी है. मंदिर की अपनी लड्डू प्रसादी यूनिट है. लड्डू प्रसाद बेचकर और भोजन शुल्क लेकर श्रद्धालुओं को भोजन कराया जाता है. इससे अलग आय होती है. वहीं शीघ्र दर्शन के लिए 250 रुपये प्रति व्यक्ति शुल्क, 200 रुपए भस्मार्ती दर्शन शुल्क, धर्मशाला बुकिंग शुल्क, श्रृंगार, ध्वजा बुकिंग, उज्जैन तीर्थ दर्शन बस सेवा, गोशाला से होने वाली आय अलग है.

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