बदायूं : उत्तर प्रदेश सरकार लगातार भृष्टाचारियों पर लगाम कसने की लाख जुगत कर रही, पिछले कार्यकाल से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगातार तमाम भूसम्पत्तियों को जब्त किया, जो सफेद पोश और दबंगों, अपराधियों ने अपनी दबंगई और नेता शाही के चलते हासिल की थी.
वहीं यह सवाल भी उठने लगे हैं कि, क्या योगी आदित्यनाथ की सरकार के सफेद पोश की सम्पत्तियों पर कब मुख्यमंत्री की नजर पडेगी और उन संपत्ति का ब्यौरा आम होगा जो भाजपा सरकार में सत्तारूढ़ होने के समय में बडी तादाद में भू सम्पत्ति के मालिक बने हैं हालांकि, यह भी सही है कि अधिकांश ऐसे सफेद इतने चालक और शातिर हैं कि, उनके द्वारा सत्ता की हनक में हासिल की गई सम्पत्ति रिकार्ड में नहीं मिल सकती, लेकिन जिस तरह विपक्षियों पर मुख्यमंत्री का चाबुक चला वैसा ही चाबुक अपने सरकार के नेताओं पर चले और उच्च स्तरीय जांच स्थानीय सूत्रों से कराई जाए तो बडे-बडे खुलासे हो सकते हैं.
तमाम ऐसे नेताओं पर यह कहना गलत नहीं कि, पद मिलने से पहले उनकी मालकियत क्या थी और आज क्या है, जो गांव से निकल कर शहर में बसे और पद मिलने से पहले बमुश्किल रेंट पर मकान लेकर रहने के लाले पड रहे थे आज वही पद मिलने पर तमाम भूसम्पत्तियों और प्रतिष्ठानों के स्वामी हैं. अगर इनका आर्थिक विस्तार देखें तो इनको मिलने बाले वेतनमान और मानदेय का ब्यौरा जोड लें और इनके रहन सहन के खर्च देखें तो इनके पास ठीक से पहने को कपड़े खरीदने की क्षमता नहीं होनी चाहिए.
आवश्यकता है कि, जिस तरह विपक्षियों पर लगाम कसी जा रही वैसे ही उसी दृष्टिकोण से मुख्यमंत्री को अपने नेताओं पर लगाम लगाने को आय से अधिक संपत्ति की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए.