उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के रमाला थाना क्षेत्र के असारा गांव से शुक्रवार को एक बड़ी खबर सामने आई. गांव के रहने वाले सुशील शर्मा के बारे में यह चर्चा फैल गई कि उन्होंने मस्जिद में जाकर जुमे की नमाज अदा की और इस्लाम धर्म कबूल कर लिया. गांव में सनसनी फैलाने वाली इस खबर में यह भी दावा किया गया कि सुशील ने धर्म परिवर्तन से पहले एक शपथपत्र जारी किया था, जिसमें उन्होंने लिखा था कि वे अपनी मर्जी से धर्म परिवर्तन कर रहे हैं और उन पर किसी का दबाव नहीं है.
सुशील ने गांव में जागरण कराया था
इसी दौरान यह भी सामने आया कि हाल ही में नवरात्रि के मौके पर सुशील ने अपने गांव में माता का जागरण कराया था. चंदा जुटाकर उन्होंने आयोजन कराया, लेकिन इसकी अनुमति पुलिस से नहीं ली थी. पुलिस कार्रवाई से नाराज होकर उन्होंने धर्म परिवर्तन का फैसला लिया. ऐसी चर्चा गांव में होने लगी. बताया जाता है कि सुशील सामाजिक कामों में हमेशा आगे रहते हैं और मेहनत-मजदूरी करके अपने चार बच्चों का पालन-पोषण करते हैं.
पुलिस ने धर्म परिवर्तन की खबर को गलत बताया
लेकिन, जैसे ही यह खबर फैलनी शुरू हुई, पुलिस हरकत में आई और सुशील शर्मा को कस्टडी में ले लिया. इसके बाद बागपत पुलिस ने मीडिया सेल के माध्यम से इस पूरे मामले को ‘भ्रामक’ करार दिया. पुलिस का कहना है कि सोशल मीडिया पर गांव असारा निवासी सुशील शर्मा के धर्म परिवर्तन की खबर पूरी तरह से निराधार और झूठी है.
पुलिस ने खुद सुशील शर्मा का वीडियो जारी किया है, जिसमें उन्होंने साफ कहा कि, “मैंने कोई धर्म परिवर्तन नहीं किया है. मैं ब्राह्मण हूं, हिंदू हूं और हिंदू ही रहूंगा. मैंने कोई शपथपत्र भी नहीं दिया है.” पुलिस ने साथ ही चेतावनी दी कि इस तरह की भ्रामक खबर फैलाने वाले लोगों पर कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी.
सुशील ने मस्जिद में नमाज अदा की!
यानी, एक तरफ गांव में सुशील शर्मा के इस्लाम अपनाने की चर्चाओं ने माहौल गरमा दिया तो वहीं पुलिस और खुद सुशील ने सामने आकर इसे झूठा बताया. फिलहाल, घटना के बाद गांव में शांति बनी हुई है, लेकिन चर्चा अब भी जारी है कि आखिर यह भ्रामक खबर फैली कैसे? सुशील ने पहले मस्जिद में नमाज अदा की, वहीं से उसे पुलिस अपनी कस्टडी में लेकर निकल गई और उसने कबूला भी कि वह अब मुस्लिम बन गया है, लेकिन पुलिस कस्टडी के कुछ देर बाद उसका एक और बयान वीडियो सामने आया, जिसमें उसने खुद को हिंदू बताया.