छत्तीसगढ़ के बालोद जिले में डिप्टी कलेक्टर दिलीप उइके पर लगे दुष्कर्म और आर्थिक शोषण के गंभीर मामले में अदालत ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी है। मामला डौंडी थाने में दर्ज हुआ था, जहां सीएएफ की एक महिला आरक्षक ने डिप्टी कलेक्टर पर शादी का झांसा देकर शारीरिक शोषण करने, जबरन तीन बार गर्भपात कराने और आर्थिक रूप से ठगने का आरोप लगाया था। पीड़िता ने अपने आरोपों को साबित करने के लिए बैंक स्टेटमेंट भी सबूत के रूप में पुलिस को सौंपा है।
जिला न्यायालय में सुनवाई के दौरान आरोपी पक्ष ने दावा किया कि पीड़िता ब्लैकमेलिंग कर रही है और झूठा केस दर्ज कराया गया है। लेकिन पीड़िता ने मजिस्ट्रेट के सामने स्वयं खड़े होकर अपने साथ हुई ज्यादती की पूरी कहानी विस्तार से सुनाई। उसकी गवाही और प्रस्तुत किए गए प्रमाणों को देखते हुए न्यायाधीश ताजुद्दीन आसिफ ने जमानत याचिका खारिज कर दी।
मामला दर्ज होने के बाद से ही डिप्टी कलेक्टर दिलीप उइके फरार हैं। पुलिस का कहना है कि आरोपी की तलाश में विशेष टीम बनाई गई है और कई ठिकानों पर दबिश दी जा रही है। फिलहाल उसकी गिरफ्तारी नहीं हो सकी है, लेकिन पुलिस का दावा है कि उसे जल्द ही हिरासत में ले लिया जाएगा।
पीड़िता ने शिकायत में कहा कि उसकी मुलाकात डिप्टी कलेक्टर से प्रशिक्षण के दौरान हुई थी। आरोपी ने विवाह का वादा कर लंबे समय तक शारीरिक संबंध बनाए। इस दौरान वह तीन बार गर्भवती हुई, लेकिन आरोपी ने जबरन गर्भपात कराया। इसके साथ ही उस पर आर्थिक शोषण और धोखाधड़ी के आरोप भी लगाए गए हैं।
डिप्टी कलेक्टर के खिलाफ डौंडी थाने में बीएनएस की धारा 69 के तहत मामला दर्ज है। इस पूरे प्रकरण ने प्रशासनिक गलियारों में भी हलचल मचा दी है। जमानत याचिका खारिज होने के बाद अब आरोपी की गिरफ्तारी पर सभी की निगाहें टिकी हैं। अदालत का यह फैसला पीड़िता के लिए राहत की खबर है, वहीं फरार चल रहे अधिकारी के लिए बड़ी कानूनी मुश्किल खड़ी हो गई है।