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गुजरात के पारंपरिक डांडिया नृत्य पर बलिया में रोक, कार्यक्रम से मायूस होकर लौटे लोग, अयोजक हताश और निराश

बलिया: यूपी के बलिया में डांडिया नृत्य पर पूरी तरह से रोक लगा दिया गया. किन कारणों से रोक लगाया गया इसकी जानकारी आयोजकों को नही दिया गया. नतीजन बलिया में शारदीय नवरात्रि पर होने वाले लगभग आधे दर्जन डांडिया कार्यक्रम के आयोजकों में न केवल निराश है बल्कि भारी नुकसान का सामना भी करना पड़ रहा है. वही डांडिया नृत्य के माध्यम से शारदीय नवरात्रि पर को सेलिब्रेट करने वाले लोगो मे आक्रोश व्याप्त खासकर महिलाओं के चेहरे पर मायूसी देखने को मिल रहा है.

आपको बता दे कि इस प्रकार के किसी भी सार्वजनिक बड़े कार्यक्रम के लिए जिला प्रशासन से अनुमति लेना होता है. और इस अनुमति के लिए कुछ शर्तों के साथ प्रक्रियाएं पूरी करनी होती है जिसके बाद कार्यक्रम को सम्पन्न करने के लिए प्रशासन लिखित अनुमति प्रदान करता है. आयोजकों का कहना की डांडिया कार्यक्रम के लिए हम लोगों के द्वारा लगभग एक माह पूर्व से ही तैयारी की जा रही थी हर आयोजक पूरी शिद्दत के साथ कार्यक्रम के तैयारी में जुटा है. इस विश्वास पर कि जिला प्रशासन कार्यक्रम के आयोजनों में सहयोग प्रदान करते हुए कार्यक्रम की अनुमति देगा. आप को बता दे कि डांडिया आयोजको के द्वारा कार्यक्रम का हिस्सा बनने वाली जनता के लिए शुल्क निर्धारित किया है. सभी आयोजको के द्वारा अलग-अलग तारीख पर अलग-जगहों पर कार्यक्रम का आयोजन रखा गया है. लेकिन प्रशासन के द्वारा डांडिया नृत्य के आयोजन की अनुमति किसी भी अयोजका को नही दिया गया.
आयोजको ने अधिकारियों और परिवहन मंत्री से वार्ता किया, गुहार लगाई लेकिन किसी ने एक न सुनी-
ताजा मामला नगर से सटे तिखंपुर स्थित एक निजी लॉज के प्रांगण में 28 सितंबर की शाम डांडिया नाइट्स का आयोजन किया गया था. सारी तैयारी पूरी हो चुकी थी, डांडिया सेलिब्रेट करने लोग अपने परिवार के साथ पहुंच रहे थे. महिलाओं और युवतियों की संख्या काफी ज्यादा थी. रंग बिरंगे कपड़ो में पहुंचे लोग डांडिया शुरू होने का इंतजार कर रहे थे, आयोजको के द्वारा सभी के लिए रात का भोजन भी बनवाया गया था जिसमे तमाम प्रकार के पकवान और फास्टफूड भी शामिल था. कार्यक्रम के लिए निर्धारित शुक्ल 699 रुपये प्रतिव्यक्ति देकर लोग डांडिया इंज्वाय करने पहुंचे थे. तभी कार्यक्रम स्थल पर स्थानीय पुलिस ने धाबा बोल दिया और कार्यक्रम को बंद करने का निर्देश दिया. पुलिस का सीधे तौर पर कहना था कि किसी भी हाल में डांडिया यहां नही होगा. आयोजको ने अधिकारियों और परिवहन मंत्री से वार्ता किया गुहार लगाई लेकिन किसी ने एक न सुनी. तमाम प्रयासों के बाद भी कार्यक्रम को इस शर्त पर रुकवा दिया गया कि जो भी लोग यहां आए है वो खाना खाएं और घर चले जाएं. इस दौरान हर किसी के चेहरे पर सिर्फ मायूसी थी हांथो में लकड़ी का डंडा लिए महिलाएं,पुरुषों और बच्चों के चेहरे की चमक मानो किसी ने छीन लिया हो, कैमरा लाइट्स, बिना म्यूजिक के साउंड के बीच हर किसी के जुबान पर बस एक ही सवाल था आखिर ऐसा क्यों हुआ? क्या जिले के प्रशासन डरपोक है, क्या यहां के जनप्रतिनिधि डरपोक है किसका डर है जिसके कारण इस कार्यक्रम के आयोजन पर रोक लगा दिया गया.

लगभग 400 टिकटें बिक चुकी थी आयोजन के लिए लाखों रुपये इन्वेस्ट हो चुके थे-
कार्यक्रम के अयोजका की माने तो पिछले दो हफ्ते से कार्यक्रम के अनुमति के लिए हम प्रशासन के चौखट पर चक्कर काट रहे है पूर्व में कई ऐसे कार्यक्रम का आयोजन किया गया है. तैयारी लगभग एक माह पूर्व से थी तो टिकटें बेची जा रही थी इस उम्मीद पर की प्रशासन अनुमति देगा लेकिन अंत तक अनुमति नही मिली, बताया लगभग 400 टिकटें बिक चुकी थी आयोजन के लिए लाखों रुपये इन्वेस्ट हो चुके थे और आज जब शांति और सौहाद्र पूर्वक इस कार्यक्रम का आयोजन कर रहे है तो हमे आयोजन कक बन्द करने को कहा गया. बताया यदि कोई शुल्क वापस लेना चाहता है तो उसे दिया जाएगा हम काफी निराश और हताश है हमारे पास शब्द नही हैं लोग निराश होकर घर जा रहे है.

ज्ञातव्य हो कि डांडिया भारत के गुजरात राज्य का पारंपरिक लोक नृत्य है जिसका आयोजन नवरात्रि के समय किया जाता है और पूरे भारत मे इस नृत्य के दीवाने है. यह नृत्य देवी दुर्गा और महिषासुर के बीच युद्ध का प्रतीक माना जाता है. पुलिस प्रशासन के द्वारा होने वाले सभी डांडिया कार्यक्रम पर प्रतिबंध लगाया जा रहा है.

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