बलिया: जिले में इन दिनों मौसम के अचानक बदलते मिजाज ने बच्चों और बुजुर्गों की सेहत पर बुरा असर डालना शुरू कर दिया है. चिलचिलाती धूप के बीच अचानक हो रही बारिश के चलते बच्चों में बुखार, सर्दी, खांसी, उल्टी और दस्त जैसी बीमारियों के मामले तेजी से सामने आ रहे हैं.
जिला महिला अस्पताल के प्रश्वोत्तर केंद्र पर कार्यरत वरिष्ठ नवजात शिशु एवं बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. सिद्धार्थ मणि दुबे ने कहा कि इस मौसम में विशेष रूप से बच्चों और बुजुर्गों की देखभाल जरूरी है, क्योंकि उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है. तापमान में अचानक हो रहे उतार-चढ़ाव से उनका स्वास्थ्य जल्दी प्रभावित हो जाता है.
डॉ. दुबे ने बताया कि इस मौसम में टाइफाइड, डायरिया, डेंगू, मलेरिया जैसी बीमारियां तेजी से फैलती हैं. इनसे बचाव के लिए स्वच्छ और उबला हुआ पानी पीना बेहद जरूरी है. पीने के पानी को हमेशा ढककर रखें और साफ बर्तनों में ही स्टोर करें. साथ ही बच्चों को खाने से पहले और बाद में हाथ धोने की आदत डालें.
खुले में बिकने वाले, बासी और तैलीय भोजन से बच्चों को दूर रखें, क्योंकि इससे उनका पाचन तंत्र प्रभावित हो सकता है. मच्छरजनित रोगों से बचने के लिए जरूरी है कि घर के आसपास पानी जमा न होने दें. गमले, कूलर, टायर आदि में पानी इकठ्ठा होने से रोकें. बच्चों को फुल आस्तीन के कपड़े पहनाएं और मच्छरदानी, मच्छर रोधी क्रीम या अगरबत्ती का उपयोग करें.
डॉ. दुबे ने सलाह दी कि बच्चों को घर पर बना हुआ संतुलित और पौष्टिक आहार दें, जिसमें कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, विटामिन और आयरन शामिल हो. बाहर का तला-भुना और मसालेदार भोजन बच्चों को बीमार बना सकता है.
अगर बच्चा दस्त या उल्टी की चपेट में आ जाए तो तुरंत उसे ओआरएस का घोल देना शुरू करें और नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र जाकर डॉक्टर से परामर्श लें. डॉ. दुबे ने अंत में कहा कि इस बदलते मौसम में जागरूकता और थोड़ी सी सावधानी बच्चों को गंभीर बीमारियों से बचा सकती है.