बलिया: जिले में गोंड समुदाय को अनुसूचित जनजाति का प्रमाण-पत्र जारी कराने की मांग को लेकर धरना-प्रदर्शन को 5 माह से अधिक समय हो चुका है। आंदोलनकारी विशाल प्रदर्शन, जेल भरो आंदोलन, अर्धनग्न प्रदर्शन तक कर चुके हैं। यह मुद्दा संसद से लेकर विधानसभा तक उठ चुका है, बावजूद इसके अब तक गोंड समुदाय को अनुसूचित जनजाति प्रमाण-पत्र जारी करने की प्रक्रिया शुरू नहीं हो सकी है।
आरोप है कि प्रमुख सचिव, समाज कल्याण अनुभाग-3, लखनऊ द्वारा दिनांक 16 जून 2025 को गोंड व खरवार जातियों के अनुसूचित जनजाति प्रमाण-पत्र निर्गत करने हेतु शासनादेश जारी किया गया है, लेकिन तहसील और लेखपाल स्तर पर उसका पालन नहीं किया जा रहा है। समाधान दिवस पर दिए गए पत्रक के अनुसार प्रमाण-पत्र निर्गत किए जाने की बात तो लिखित रूप से कही जाती है, लेकिन ऑनलाइन आवेदन करते समय गोंड समुदाय के लोगों के आवेदन लगातार अस्वीकृत कर दिए जाते हैं। जिला प्रशासन व तहसील प्रशासन केवल औपचारिकताएं निभाने में लगे हुए हैं, जबकि जमीनी स्तर पर कोई समाधान नहीं हो रहा है।
धरना के 155वें दिन गोंड समुदाय ने पूर्वांचल छात्र संघर्ष समिति के संयोजक एवं टी.डी. कॉलेज छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष नागेन्द्र बहादुर सिंह उर्फ झून्नू, ऑल गोंडवाना स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आगसा) के अध्यक्ष मनोज शाह एवं अरविंद गोंडवाना के संयुक्त नेतृत्व में पारंपरिक गोंडऊ नाच, बाजा और हुरूका के साथ एक विशाल जुलूस निकालते हुए मॉडल तहसील पहुंचे। वहाँ उपजिलाधिकारी सदर तिमराज सिंह, सीओ सिटी और भारी पुलिस बल की मौजूदगी में “बने ना प्रमाण पत्र आरक्षण कौवना बाती के, सुविधा मिलल काथी के” गीत गाकर अपनी व्यथा प्रकट की। उपजिलाधिकारी ने आंदोलनकारियों का पत्रक स्वीकार करते हुए भारत के राजपत्र और शासनादेश के अनुसार गोंड जाति का प्रमाण-पत्र शीघ्र जारी करने का आश्वासन दिया।
छात्र आंदोलन का नेतृत्व कर रहे नागेन्द्र बहादुर सिंह ने कहा कि जिले के स्कूलों और महाविद्यालयों में गोंड और खरवार जनजाति के हजारों छात्र अध्ययनरत हैं, जिन्हें जाति प्रमाण-पत्र के अभाव में छात्रवृत्ति और सरकारी नौकरियों के आवेदन से वंचित होना पड़ रहा है। यदि प्रमाण-पत्र जल्द जारी नहीं हुआ तो आंदोलन का अगला चरण बलिया बंद और छात्र कर्फ्यू होगा, जिसकी सम्पूर्ण जिम्मेदारी प्रशासन और राज्य सरकार की होगी।
इस दौरान किरन देवी ने भावुक होते हुए बताया कि उनकी पुत्री का चयन सैनिक विद्यालय और नवोदय विद्यालय में कक्षा-6 के लिए हो चुका है। माता-पिता दोनों के पास गोंड अनुसूचित जनजाति का प्रमाण-पत्र पहले से है, लेकिन बच्ची का प्रमाण-पत्र न बन पाने के कारण अब उसके प्रवेश पर संकट खड़ा हो गया है। तहसील प्रशासन और लेखपाल बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।
क्रमिक अनशन के 29वें दिन कन्हैया गोंड और रामनारायण गोंड अनशन पर बैठे रहे। आंदोलन में प्रमुख रूप से संजय गोंड, जीउत गोंड, सूचित गोंड, सुरेश गोंड, नंदलाल गोंड, अरविंद गोंडवाना, सुदेश गोंड, हीरा गोंड, लालचंद गोंड, पिंकू गोंड, दीप गोंड, बच्चालाल गोंड, मुन्ना गोंड, भरत गोंड, राजकुमार गोंड, मनोज शाह, श्रीपति गोंड, लाल बिहारी गोंड और जीतन गोंड आदि उपस्थित रहे।
गोंड समुदाय का यह आंदोलन अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुका है, प्रशासनिक लापरवाही यदि यथावत रही तो इसका व्यापक असर जिला स्तर से प्रदेश स्तर तक देखने को मिल सकता है।