Uttar Pradesh: बलिया जिले के बैरिया तहसील क्षेत्र के शिवाल मठिया गांव के पुरुष महिलाओं ने सिंचाई विभाग के अभियंताओं अधिकारियों तथा ठेकेदारों के बुद्धि शुद्धि के लिए गांव के किनारे बह रही सरयू नदी में दूध चढ़ाया तथा माता सरयू से प्रार्थना की कि हमारे गांव को बाढ़ कटान से सुरक्षा के लिए कराई जा रहे हैं लापरवाह और लूट खसोट की मनसा रखने वाले सिंचाई विभाग के अधिकारियों और ठेकेदारों की बुद्धि शुद्ध करें. साथ ही आगामी दिनों में बरसात व बाढ़ के समय में बाढ़ व कटान से सुरक्षा करें. इसके पूर्व उप जिलाधिकारी बैरिया को सिंचाई विभाग के अधिकारियों व ठेकेदारों के के खिलाफ बाढ़ व कटान रोधी कार्य में लूट खसोट की नियत से कार्य में लापरवाही का आरोप भरा पत्रक देने के बाद गांव लौट कर सुंदरकांड का पाठ कराया. जिस सुंदरकांड पाठ करने और सुनने में गांव के पुरुष महिलाओं ने भाग लिया.
गांवों के लगभग 300 से अधिक परिवारों के पक्के कच्चे, मिट्टी के व झोपड़ीनुमा रिहायशी घर सरयू नदी के काटन के भेंट चढ़ चुके हैं
सिंचाई विभाग के अधिकारियों और ठेकेदारों के बुद्धि शुद्धि के अनुष्ठान का आयोजन करने वाले मनोज यादव, सुनील चौधरी, ओम प्रकाश सिंह, राकेश सिंह, दिलीप सिंह, संतोष गोंड आदि ने बताया कि पिछले तीन-चार वर्ष से लगातार सरजू नदी में बाढ़ आ रहा है, और कटान हो रही है. इन तीन चार वर्षो में हमारे गांवों के लगभग 300 से अधिक परिवारों के पक्के कच्चे, मिट्टी के व झोपड़ीनुमा रिहायशी घर सरयू नदी के काटन के भेंट चढ़ चुके हैं. हर साल सरकार कटान रोधी कार्य के लिए करोड़ों रुपए अवमुक्त करती है. लेकिन कार्य पूरा नहीं हो पाता. बीच में ही सरयू नदी में बरसात व बाढ़ का पानी आ जाता है. हुए थोड़े से कार्य को पूरा दिखाकर सिंचाई विभाग व ठेकेदार धन का बंदर बांट कर लेते हैं. हमारी समस्या जस की तस बनी हुई है. इस बार दो जगह पर बाढ़ कटान रोधी कार्य के लिए जनवरी के लगभग ही करोड़ों रुपए सरकार द्वारा स्वीकृत किए गए और यहां कार्य काफी विलंब से अब शुरू किया गया है. उसमें भी चार-पांच मजदूर लगाकर धीरे-धीरे कार्य कराया जा रहा है. ग्रामीणों ने आशंका व्यक्त की कि ऐसे में यह कार्य बरसात व बाढ़ आते आते आधा अधूरा भी नहीं बन पाएगा और यह धन बंदर बांट कर लिया जाएगा. यह भी आरोप लगाया कि सिंचाई विभाग के कई अभियंता जो पहले से ही यहां हैं. लूटखसोट के अभ्यास हो गए हैं. बताते हैं कि उनकी पहुंच ऊपर तक है.
इसीलिए उनका स्थानांतरण नहीं होता. वह बलिया में ही जमे हुए हैं. ग्रामीणों ने कहा कि अभी हमने उपजिलाधिकारी को पत्रक दिया है, उसके बाद बुद्धि शुद्धि के लिए तरह-तरह के अनुष्ठान कर रहे हैं. जल्द ही इस कार्य में मानक के अनुकूल कार्य में तेजी लाकर जल्द ही पूरा नहीं किया जाएगा तो हम लोग आक्रामक आंदोलन के लिए बाध्य होंगे. जिसकी सारी जिम्मेदारी सिंचाई विभाग व ठेकेदारों की होगी.