बालोद : पुलिस अधिकारी के नाबालिग बेटे ने स्कूटर से मारी टक्कर, हमाल गंभीर, जानें फिर क्या हुआ

बालोद : बालोद में ट्रैफिक नियमों की नसीहत देने वाली पुलिस अधिकारी का ही बेटा नियम तोड़ता मिला. नाबालिग होकर बिना हेलमेट स्कूटी दौड़ा रहा था और सीधे हादसे का शिकार हो गया. शनिवार शाम गंजपारा दुर्गा मंदिर के पास उसने सड़क पार कर रहे हमाल को ठोकर मार दी.

 

नाबालिग शहर से ट्यूशन पढ़कर घर लौट रहा था. रास्ते में उसने शिकारीपारा के हमाल धरम दास यादव को टक्कर मार दी. हादसा इतना जोरदार था कि चालक और राहगीर दोनों ही लहूलुहान होकर सड़क पर गिर पड़े. यही नहीं, हादसे के बाद स्थानीय लोगों ने सवाल उठाए कि जब पुलिस ही घर में नियम तुड़वा रही है तो आम जनता से कायदे की उम्मीद कैसी.

नाबालिग रायपुर रेफर, मजदूर की हालत भी गंभीर

 

दोनों को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया. डॉक्टरों के मुताबिक नाबालिग के जबड़े में चोटें आई हैं. मजदूर के शरीर के कई हिस्सों में गंभीर चोटें हैं.

 

समाजसेवियों की संवेदनशीलता पर सवाल

 

अस्पताल में पहुंचे कुछ समाजसेवियों ने घायल नाबालिग के परिजनों को फोन कर संवेदनशीलता दिखाई. लेकिन हमाल के परिवार को सूचित करना भूल गए. करीब एक घंटे बाद हमाल का परिवार अस्पताल पहुंचा. असमर्थता के कारण वे तुरंत रायपुर रेफर नहीं करवा पाए. वहीं अस्पताल में मौजूद तमाम शुभचिंतकों ने यह जानने की भी कोशिश नहीं की कि हमाल किस स्थिति में है, जिंदा है भी या नहीं.

 

कंवर चौकी प्रभारी हैं लता तिवारी

 

जानकारी के अनुसार नाबालिग, कंवर चौकी प्रभारी एएसआई लता तिवारी का बेटा है. लता तिवारी वर्तमान में कंवर चौकी प्रभारी के पद पर पदस्थ हैं. लता बालोद, दल्लीराजहरा सहित जिले के कई थानों पर सेवा दे चुकी है. लेकिन फिर भी अपने नाबालिग बेटे को स्कूटी चलाने दे दी. नाबालिग की लापरवाही से एक मजदूर का जीवन संकट पर बना हुआ है.

 

ट्रैफिक पुलिस की भूमिका पर सवाल

 

घटना के बाद लोगों ने यह भी सवाल उठाए कि शहर में हर चौक-चौराहे पर ट्रैफिक पुलिस तैनात रहती है, फिर भी नाबालिग बिना हेलमेट और बिना लाइसेंस स्कूटी कैसे दौड़ा रहा था.

 

मजदूर परिवार की पीड़ा

 

धरम दास यादव का परिवार मजदूरी करके ही घर का खर्च चलाता है. परिवार का कहना है कि यदि उनकी जान चली गई या वे अपंग हो गए तो बच्चों और परिवार का पेट कौन भरेगा.

 

प्रशासनिक चुप्पी और दोहरे कानून पर सवाल

 

हादसे के बाद पुलिस अधिकारियों से लेकर प्रशासनिक अफसरों तक किसी ने भी पीड़ित परिवार का हाल जानने की कोशिश नहीं की. लोगों का कहना है कि अगर आरोपी कोई आम नागरिक होता तो अब तक उस पर केस दर्ज हो गया होता.

 

बालोद जिले में हर चौक-चौराहों पर बिना हेलमेट चालान किया जा रहा है. गांव से शहर आने वाले लोग चालान से त्रस्त हैं. यहां तक कि बिना हेलमेट पेट्रोल तक नहीं दिया जाता. ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या एक पुलिस अधिकारी के नाबालिग बेटे के लिए कानून बराबर नहीं है.

 

मामले पर सवाल

 

इस मामले पर फिलहाल किसी तरह का कोई अपराध दर्ज नहीं हो पाया है. लेकिन लोगों का कहना है कि चूंकि मामला पुलिस अधिकारी के बेटे से जुड़ा है, इसलिए हमाल परिवार को न्याय मिल पाएगा या नहीं, यह देखने वाली बात होगी

Advertisements
Advertisement