बलरामपुर: बेबदी गांव में डायरिया का प्रकोप, जनजातीय महिला की मौत…कई ग्रामीण बीमार

बलरामपुर: जिले के वाड्रफनगर विकासखंड अंतर्गत आने वाले बेबदी गांव से एक बेहद चिंताजनक खबर सामने आई है. गांव में डायरिया ने कहर बरपाया है. प्राप्त जानकारी के अनुसार, पंडों जनजाति की एक महिला की मौत डायरिया से हो गई है, जबकि कम से कम 4 ग्रामीणों की हालत गंभीर बनी हुई है. बीमार ग्रामीणों को प्राथमिक उपचार के बाद वाड्रफनगर के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया है, जहां उनका इलाज जारी है.

स्थानीय ग्रामीणों और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, गांव में पीने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा पानी दूषित है. गंदे पानी के कारण हर साल मानसून के समय डायरिया और अन्य संक्रामक बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. ग्रामीणों ने बताया कि गांव में पेयजल की उचित व्यवस्था नहीं है और लोग अधिकतर कुएं, हैंडपंप या झिरिया (प्राकृतिक स्रोत) का पानी पीने को मजबूर हैं. इन्हीं स्रोतों से लिए गए पानी की वजह से संक्रमण तेजी से फैलता है.

डायरिया के प्रकोप की सूचना मिलते ही स्वास्थ्य विभाग की टीम मौके पर पहुंची. गांव में संभावित संक्रमण को देखते हुए विभाग ने अलर्ट जारी कर दिया है और प्रभावित क्षेत्रों में स्वास्थ्य शिविर लगाने की योजना बनाई है. गांव-गांव जाकर लोगों की स्वास्थ्य जांच की जा रही है. ORS घोल, जिंक टैबलेट व अन्य जीवनरक्षक दवाओं का वितरण शुरू कर दिया गया है.

ग्रामीणों को उबालकर पानी पीने और स्वच्छता बनाए रखने की सलाह दी जा रही है. ग्रामीणों का कहना है कि हर साल स्थिति बिगड़ती है, लेकिन समस्या का स्थायी समाधान आज तक नहीं हो सका है. बेबदी गांव में स्वास्थ्य सेवाएं बेहद सीमित हैं. पीने का पानी साफ नहीं, सीवर और गंदगी की कोई व्यवस्था नहीं, जिससे हर बार बरसात में बीमारियां फैलती हैं.

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. बसंत कुमार सिंह ने बताया कि डायरिया की शिकायतें मिलने पर तत्काल टीम भेजी गई है. स्थिति पर नजर रखी जा रही है. पीड़ितों को हरसंभव चिकित्सा सुविधा दी जा रही है और अन्य ग्रामीणों की भी जांच की जा रही है. गांव में स्थायी पेयजल योजना चलाई जाए. हर घर में नल जल योजना को प्राथमिकता दी जाए. स्वास्थ्य केंद्रों को सशक्त बनाया जाए.

हर साल होने वाले जलजनित रोगों की रोकथाम के लिए पहले से तैयारी की जाए. यह कोई पहली घटना नहीं है. ग्रामीणों की बेसिक ज़रूरतें साफ पानी, प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा और जागरूकता अभी भी पूरी नहीं हो पा रही हैं. अगर समय रहते इन समस्याओं का समाधान नहीं किया गया, तो डायरिया जैसी बीमारियां और जानें ले सकती हैं.

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