अयोध्या: धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से ऐतिहासिक नगरी अयोध्या में अब राम पथ पूरी तरह से पवित्र बना रहेगा. अयोध्या नगर निगम ने गुरुवार को एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए राम पथ पर मांस, शराब, बीड़ी, सिगरेट, गुटखा और अश्लील विज्ञापनों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव पारित किया है. इस प्रस्ताव की घोषणा महापौर गिरीश पति त्रिपाठी ने की, जिसे कार्यकारी समिति की बैठक में सर्वसम्मति से पारित किया गया.
राम पथ अयोध्या और फैजाबाद शहरों को जोड़ने वाला लगभग 14 किलोमीटर लंबा मार्ग है, जो धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि इसी मार्ग पर प्रसिद्ध राम मंदिर स्थित है। अब तक राम पथ का लगभग 9 किलोमीटर हिस्सा अयोध्या में आता था, जहां पहले से ही मांस और शराब की बिक्री पर रोक है. नए प्रस्ताव का उद्देश्य फैजाबाद शहर के 5 किलोमीटर के उस हिस्से को भी शामिल करना है, जहां वर्तमान में मांस और शराब की दुकानें मौजूद हैं.
महापौर त्रिपाठी ने कहा, “यह निर्णय अयोध्या की धार्मिक मर्यादा, सांस्कृतिक गरिमा और भावनात्मक आस्था की रक्षा के लिए लिया गया है। राम पथ को पूरी तरह से पवित्र बनाए रखना हमारा दायित्व है.” प्रस्ताव में यह भी स्पष्ट किया गया है कि प्रतिबंध केवल खानपान तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि पान-मसाला, गुटखा, बीड़ी, सिगरेट और इनरवियर जैसे उत्पादों के अशोभनीय विज्ञापनों पर भी रोक लगाई जाएगी.
नगर निगम की कार्यकारी समिति में महापौर, उप महापौर और 12 पार्षद शामिल हैं, जिनमें भाजपा से जुड़े एकमात्र मुस्लिम पार्षद सुल्तान अंसारी ने भी इस प्रस्ताव का समर्थन किया. यह निर्णय दर्शाता है कि धार्मिक भावना और सांस्कृतिक मूल्यों की रक्षा को सभी वर्गों का समर्थन प्राप्त है.
फैजाबाद के उस हिस्से में, जहां राम पथ विस्तारित होता है, अभी भी कई मांस और शराब की दुकानें संचालित हो रही हैं। प्रस्ताव पारित होने के बाद इन दुकानों को बंद करने की प्रक्रिया नगर निगम जल्द ही तय करेगा और उसके कार्यान्वयन की रूपरेखा सार्वजनिक की जाएगी.
यह प्रतिबंध न केवल शहर की धार्मिक पहचान को सशक्त करेगा, बल्कि आने वाले श्रद्धालुओं और पर्यटकों को भी एक स्वच्छ, पवित्र और अनुशासित वातावरण प्रदान करेगा। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के साथ-साथ यह कदम एक और सांस्कृतिक पुनर्जागरण की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है.
अयोध्या नगर निगम का यह निर्णय भारत में धार्मिक स्थलों की गरिमा बनाए रखने की दिशा में एक अनुकरणीय पहल के रूप में देखा जा रहा है.